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मंगलवार, 6 नवंबर 2012

जिंदगी ने उसे छ्ला होगा


 गैस होगी न कोयला होगा 
चूल्हा ग़मजदा मिला होगा 

  पेट रोटी टटोलता हो जब                                           
थाल  में अश्रु झिलमिला होगा
  
भूख की कैंचियों से कटने  पर   
 सिसकियों से उदर सिला होगा 
                                        
चाँद होगा न चांदनी होगी 
ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा

भोर होगी न रौशनी होगी 
जिंदगी से बड़ा  गिला होगा
 
लग रहा क्यूँ हुजूम अब  सोचूँ 
मौत का कोई काफिला  होगा 

बेबसी की बनी कब्र पर ही  
 नफरतों का पुहुप खिला होगा 
           
अब बता "राज"दोष है किस का 
 जिंदगी ने उसे छ्ला  होगा 
           ******************************                     

10 टिप्‍पणियां:

  1. ओ बी ओ पर भी पढ़ा -
    सुन्दर प्रस्तुति |
    आभार दीदी ||

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  2. बेबसी की बनी कब्र पर ही
    नफरतों का पुहुप खिला होगा ...सच है

    जवाब देंहटाएं
  3. लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ
    मौत का कोई काफिला होगा .. वाह

    उम्दा गजल साँझा करने का आभार

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं ...
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

    जवाब देंहटाएं
  4. आम आदमी ही बस बेबस है ...सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं


  5. लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ
    मौत का कोई काफिला होगा .. वाह,,,बहुत खूब

    बेहतरीन समायिक गजल,,,,

    RECENT POST:..........सागर

    जवाब देंहटाएं
  6. पेट रोटी टटोलता हो जब
    थाल में अश्रु झिलमिला होगा

    वाह ..सुन्दर ग़ज़ल.

    जवाब देंहटाएं