(1) घर की छत के दो बड़े स्तम्भ गिर चुके हैं देखो छोटे
स्तंभों पर कब तक टिकती है छत !!
(2)सबने कहा और तुमने मान लिया एक बार तो कुरेद
कर देखते मेरी राख शायद मैं तुमसे कुछ कहती !!
(3)जिंदगी में बहुत दूर तक तैरने पर कोई नाव मिली
,कुछ गर्म धूप कुछ नर्म छाँव मिली !!
(4)अपनों के हस्ताक्षर के साथ जब कोई कविता आँगन
से बाहर जायेगी ,तो जरूर नया कोई गुल खिलाएगी!!
(5)चोँच में तिनका ले जाती हुई चिड़िया से पूछा अब
क्यों घर बदल रही हो तुम तो उस महल के रोशनदान
में कितनी शानो शौकत से रहती हो तो वो बोली वहां
मेरे बच्चे बिगड़ रहे हैं अपनी औकात भूल रहे हैं!!
(6)कदम दर कदम सूरत बदल रही है लगता है अब मैं
आगे बढ़ रही हूँ!!
(7)रंग मंच का अंतिम द्रश्य शुरू हो चुका है कुछ ही
वक़्त बाकी हैं देखना है पटाक्षेप सुखान्त होगा या
दुखांत!!
(8)उन ईंटों ने अब दीवार का साथ छोड़ दिया शायद
उसकी जर्जरता उन्हें रास नहीं आई
***************************************************
पांचवा सर्वोत्तम लगा . सातवाँ झटका दे गया.
जवाब देंहटाएंसब ख्याल ....अपना अपना एक वजूद रखते हैं !!!
जवाब देंहटाएंऔर हर एक की जिन्दगी में दख़ल भी !
शुभकामनायें!
)सबने कहा और तुमने मान लिया एक बार तो कुरेद
जवाब देंहटाएंकर देखते मेरी राख शायद मैं तुमसे कुछ कहती !!
क्या बात है
(8)उन ईंटों ने अब दीवार का साथ छोड़ दिया शायद
जवाब देंहटाएंउसकी जर्जरता उन्हें रास नहीं आई.
सारे के सारे ख़याल बेहद अच्छे लगे ...
क्या बात है। सभी ख़याल बड़े अच्छे लगे।
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
सभी ख्याल अपना महत्त्व लिए
जवाब देंहटाएंसुन्दर और भावपूर्ण...
:-)
अपनों के हस्ताक्षर के साथ जब कोई कविता आँगन से बाहर जायेगी ,तो जरूर नया कोई गुल खिलाएगी!!
जवाब देंहटाएंआपके ख्यालहम कवियों के जेहन में अपनी जगह बना रहे हैं|
बहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
जवाब देंहटाएंइसे भी अवश्य देखें!
चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भी पढ़ें जिस पर इन्होंने विवाद पैदा किया और इनकी प्रतिक्रियायें भी पढ़ें फिर अपनी ईमानदार प्रतिक्रिया दें कि कौन क्या है? सादर -रविकर
राणा तू इसकी रक्षा कर // यह सिंहासन अभिमानी है
बहुत सुन्दर प्रविष्टि वाह!
जवाब देंहटाएंइसे भी अवश्य देखें!
चर्चामंच पर एक पोस्ट का लिंक देने से कुछ फ़िरकापरस्तों नें समस्त चर्चाकारों के ऊपर मूढमति और न जाने क्या क्या होने का आरोप लगाकर वह लिंक हटवा दिया तथा अतिनिम्न कोटि की टिप्पणियों से नवाज़ा आदरणीय ग़ाफ़िल जी को हम उस आलेख का लिंक तथा उन तथाकथित हिन्दूवादियों की टिप्पणयों यहां पोस्ट कर रहे हैं आप सभी से अपेक्षा है कि उस लिंक को भी पढ़ें जिस पर इन्होंने विवाद पैदा किया और इनकी प्रतिक्रियायें भी पढ़ें फिर अपनी ईमानदार प्रतिक्रिया दें कि कौन क्या है? सादर -रविकर
राणा तू इसकी रक्षा कर // यह सिंहासन अभिमानी है
विचारों के मंथन से निकले ये वाक्य..मननीय,,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर धारा प्रवाह विचार कणिकाएं हैं .बधाई बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंvery appealing thoughts..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा,अपना वजूद तलाशते ख़याल ।
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