दिलों में मचलती हुई तरंगिणी की जिन
लहरों संग डूबते उबरते रहे
वो लहरें आज भी हमें देख मुस्कुराती हैं
आज भी वो मखमली घास
सर झुकाकर हमारे वहां होने की गवाही देती है
चश्मदीद हैं वो उन पलों की
जब मेरी गोद में था तुम्हारा सिर
और अपने हाथों से तुम्हारा खेलते खेलते
उस घास को मरोड़ना
उसकी शिकायत पर
अचानक मेरे हाथों से तुम्हारे हाथ को
ढांप कर रोक देना
उस पवन से मेरी लड़ाई
जो हमारी नजरों के दरमियाँ
आकर छेड़ रही थी तुम्हारी अलकों को
भिगो रही थी हमारी साँसों की गर्माहट को
वो नन्हे परिंदे जो हमारे ऊपर से
उड़ते हुए लौट रहे थे अपने घरों को
जाते हुए अपने पंखों से
शुभ विदा कहकर
अगले दिन मिलने का वादा करते हुए
आज भी मिलने आते हैं
चाँद जो निकला था बादलों को चीर कर
तुम्हारी माथे की शिकन को देखकर
छुप गया था दुबारा बादलों के आँचल में
जुगनू को भी तुमने छुपा दिया था
अपने दुपट्टे के कौने में
आज भी शिकायत करता है
कुछ् ये थे मेरी डायरी के
शुरूआती पन्ने !!
बीच के पन्नों में लिखी थी
व्यस्त जिंदगी कुछ जिम्मेदारियां
हमारी दो जिंदगियों के साथ दो का और जुड़ना
उन दो के साथ और दो दो का जुड़ना
आँगन में किलकारियां
इस तरह हम दो के साथ और हाथों का जुड़ना
और एक मजबूत रिश्तों की जंजीर बनना
एक रिश्तों के मोतियों की बेमिसाल माला का गुंथना
हमारा भरा पूरा घोंसला जगमगा रहा था उन पन्नो पर
फिर पन्ने दर पन्ने खुलते गए चित्र बदलते गए
घोंसला छोड़ कर वो चिड़ियाँ सब अलग अलग
दिशा में उड़ चली
अब डायरी के तीसरे अध्याय में
हम प्रवेश कर गए
फिर एक बार हम दोनों अकेले हैं
बस अपनों की यादें और विशेष अवसरों पर
अपनों का इन्तजार और जुड़ गया है इसके पन्नों में
आज इस डायरी के शुरूआती पन्नों ने
मुझे अपने पास बुलाया और कहा
प्रीत की रीत निभाहते हुए
तुम कितनी दूर निकल आये
कभी लौट कर आओ उसी नदी के किनारे
वो मखमली दूब जिसको तुमने समर्पित होना सिखाया
आज भी तुम्हारे इन्तजार में
नत मस्तक है
वही लहरें जिनको तुमने पावन चुम्बन की रीत सिखाई
तुम्हारे कदम चूमने के लिए आतुर हैं
चले आओ धीरे धीरे एक दूजे को सहारा देते हुए
जीवन के अंतिम अध्याय में जी लों उन पलों को
समेट लो उन यादों को और
बना दो सुखान्त इस आख्याति को
एक बार फिर
इससे पहले कि सूरज डूब जाए
****************************
एक डायरी में सिमट आया पूरा जीवन....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर राजेश जी.
सादर
अनु
बेहद भावपूर्ण शब्दों का संगम ..
जवाब देंहटाएंआभार इस उत्कृष्ट अभिव्यक्ति के लिये
उम्दा भावाव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल भावों को समेटे उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंभावमय उत्कृष्ट अभिव्यक्ति,,
जवाब देंहटाएंrecent post...: अपने साये में जीने दो.
बहुत ही प्रभावी रचना, सुन्दर भाव जगाती रचना..
जवाब देंहटाएंवाह गहन भाव व्यक्ति करती बेहद शसक्त रचना.
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकारें ||
भावमय अभिव्यक्ति..बेहद सुन्दर :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!........
जवाब देंहटाएंबीच के पन्नों में लिखी थी
जवाब देंहटाएंव्यस्त जिंदगी कुछ जिम्मेदारियां
हमारी दो जिंदगियों के साथ दो का और जुड़ना
उन दो के साथ और दो दो का जुड़ना ....बहुत सुन्दर दर असल यही जीवन है
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 22 - 11 -2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
अधूरे सपने- अधूरी चाहतें!!.........कभी कभी यूँ भी .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
धीरे धीरे एक दूजे को सहारा देते हुए
जवाब देंहटाएंजीवन के अंतिम अध्याय में जी लों उन पलों को
समेट लो उन यादों को और
बना दो सुखान्त इस आख्याति को
इससे पहले कि सूरज डूब जाए.
*
- जीवन का सार-संक्षेप ,बस यही !
बहुत सुंदर और भाव प्रबल ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
मधुर स्मृतियों को समेटे हैं आपकी डायरी के पन्ने...सुंदर !
जवाब देंहटाएंअतीत को खंगालती सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंतीसरे अध्याय में पहले दो को याद करके कितनी खुशी मिलती है, सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंNostalgia is overpowering me...
जवाब देंहटाएं