यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

जलती रही विभावरी

तिल-तिल जलती रही विभावरी 
लावा द्रगों से बहता रहा, 
बदन को नोचती रही मजबूरियां 
चिन्दा चिन्दा कलेजा फटता रहा !
शुष्क हुआ क्षीर का सोता, 
भूख से शिशु रोता रहा!
मरता रहा कोख में स्त्रीत्व, 
पुरुषत्व दंभ भरता रहा !
लुटती रही अस्मतें, 
विधाता मूक दर्शक बनता रहा! 
गरीबी चीरहरण करती रही, 
दूर खड़ा जमाना हंसता रहा ! 

34 टिप्‍पणियां:

  1. मार्मिक ....गहन अभिव्यक्ति ....सोच में डूब गया मन ...

    जवाब देंहटाएं
  2. उफ़ …………भयावह सच्चाई की सटीक अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  3. अंतत : नारी को अनेकों तरीके से प्रताड़ित होना पड़ता है .
    मार्मिक प्रस्तुति .

    जवाब देंहटाएं
  4. आज की कड़वी सच्चाई को बयान कर रही है ये ... आक्रोश की अभिव्यक्ति है ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर संवेदनशील रचना
    सादर बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  6. विधाता मूक दर्शक बनता रहा!

    क्या वास्तव में विधाता मूक दर्शक बना रहता है,राजेश जी ?

    या हमारे ही कर्मों और सोच का परिणाम है सब.

    अति सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत दर्द भरी रचना ....सच का आईना ..........आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सार्थक व सशक्त रचना, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. शुष्क हुआ क्षीर का सोता,
    भूख से शिशु रोता रहा!
    मरता रहा कोख में स्त्रीत्व,
    पुरुषत्व दंभ भरता रहा !
    सटीक पंक्तियाँ! गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ मार्मिक रचना!

    जवाब देंहटाएं
  10. जलती रही विभावरी , वाह क्या शानदार रचना है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत मार्मिक और सटीक अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर और बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति!...

    जवाब देंहटाएं
  13. Very touching creation !....A bitter fact is revealed beautifully.

    जवाब देंहटाएं
  14. कड़वे सच को उजागर करती मार्मिक रचना.

    जवाब देंहटाएं
  15. खूबसूरत से मर्माहत करने वाली विडंबना को प्रस्तुत किया है...

    जवाब देंहटाएं
  16. गरीबी चीरहरण करती रही,
    दूर खड़ा जमाना हंसता रहा !

    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं
  17. तिल-तिल जलती रही विभावरी
    लावा द्रगों से बहता रहा,
    बदन को नोचती रही मजबूरियां
    चिन्दा चिन्दा कलेजा फटता रहा !... aah !

    जवाब देंहटाएं
  18. नारी का दर्द ऊंडेलती कविता.

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बहुत सुदर कविता ... एक दर्द जबरदस्त एक छिपी सच्चाई ...

    जवाब देंहटाएं