(my photography)
शरमा गई चांदनी, देखकर रवि को झील में नहाते हुए,
छुपा लिया चंदा ने मुखड़ा जब देखा किरणों को आते हुए
नीड़ों से बाहर आये खगचर मस्ती में चहचहाते हुए,
नारंगी लाली संग उलझे मछुआरे जाल बिछाते हुए !
झील के उर में उठे हिलौरे जब हंस चले बलखाते हुए,
नाव को खेता जाए खिवैय्या भोर का गाना गाते हुए!
प्रकृति की सुन्दर मुस्कान।
जवाब देंहटाएंभोर का सुंदर गीत और मनोरम दृश्य!
जवाब देंहटाएंham ho gaye mast
जवाब देंहटाएंkho gaye jheel ke
khyaalon mein
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जवाब देंहटाएंभोर की बेला सुहानी ....
जवाब देंहटाएंनदिया के तीरे ...
बहुत मन भावन विवरण ..
वाह ..बहुत ही खूबसूरत वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भोर के दर्शन हुए ... रवि को नहाते हुए अच्छा बिम्ब है
जवाब देंहटाएंझील के उर में उठे हिलौरे जब हंस चले बलखाते हुए,
जवाब देंहटाएंनाव को खेता जाए खिवैय्या भोर का गाना गाते हुए!
prakriti ka sundar varnan
बेहद ख़ूबसूरत और शानदार रचना ! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
कल 22/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
भोर की मनोरम प्रस्तुति..बधाई ...
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट आएं स्वागत है
bahut hi sundar kavita hai...
जवाब देंहटाएंवाह , क्या समां बांधा है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ।
सवेरे का विहंगम दृश्य...
जवाब देंहटाएंSundar
जवाब देंहटाएंwww.poeticprakash.com
मनमोहक चित्र और रचना....
जवाब देंहटाएंसादर....
बहुत खूब ...कल्पनाओं के मोतियों को
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से पिरोया है आपने
सुन्दर चित्रण
जवाब देंहटाएंjust Beautiful !!!
जवाब देंहटाएंA treat 4 readers :)
सुंदर चित्र और सुंदर कविता
जवाब देंहटाएंबधाई