जब देदी तुमने दियासलाई फिर उन्होंने आग लगाई
क्यूँ बुरा लगा ?
बिखरा दिए जब बीज गरल के ,फिर जहरीली फसल उग आई
क्यूँ बुरा लगा ?
जब चोरो को देदी चौकी ,उसी में उन्होंने सेंध लगाई
क्यूँ बुरा लगा ?
जब भ्रष्ट हाथों में देदी कुर्सी ,उन्होंने देश की जड़े हिलाई
क्यूँ बुरा लगा ?
भरते रहे विदेशी गुल्लक ,फिर महंगाई की महामारी आई
क्यूँ बुरा लगा ?
क्यूँ बुरा लगा ?
बिखरा दिए जब बीज गरल के ,फिर जहरीली फसल उग आई
क्यूँ बुरा लगा ?
जब चोरो को देदी चौकी ,उसी में उन्होंने सेंध लगाई
क्यूँ बुरा लगा ?
जब भ्रष्ट हाथों में देदी कुर्सी ,उन्होंने देश की जड़े हिलाई
क्यूँ बुरा लगा ?
भरते रहे विदेशी गुल्लक ,फिर महंगाई की महामारी आई
क्यूँ बुरा लगा ?
बड़े ही सहज प्रश्न हैं, उत्तर समेटे हुये।
जवाब देंहटाएंबहुत सही ...
जवाब देंहटाएंकिया है तो भरना भी पड़ेगा भाई....
व्यंग्य के साथ सच्चाई दर्शाती रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
एकदम सही प्रश्न किये है|
जवाब देंहटाएंGyan Darpan
.
बहुत गहरे भाव लिए सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक कथन...सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंजब हम अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार रहे हैं तो बुरा लगने का प्रश्न ही नहीं होता...
जवाब देंहटाएंसटीक प्रश्न!
जवाब देंहटाएंbahut hi sahi kaha hai apne..
जवाब देंहटाएंsundar prastuti..
खुद ही अपने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी तो क्यों बुरा लगा ..सही बात कही है ....अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही कहा , बुरा नहीं लगना चाहिए !
जवाब देंहटाएंतीखे सार्थक प्रश्न...
जवाब देंहटाएंसादर...
तीखे प्रश्न उठाए हैं ... और सच ही कहा है ... इन सब बातों का ध्यान शुरू में ही रखना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंसटीक और सारगर्भित प्रश्न्।
जवाब देंहटाएंनही बुरा नही लगा अब तक तो झेले ही जा रहे हैं...|
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही सवाल किया है आपने इन पंक्तियों के माध्यम से|
क्या बुरा लगा?
ab aadat ho gayee
जवाब देंहटाएंkyaa buraa lagaa ?
kshamaa karnaa
vaakai haalaat bahut hee kharaab hein
सब हमारा ही किया धरा है बुरा मान कर क्या ले लेंगे .
जवाब देंहटाएंआभार मेरे ब्लोग पर आ कर टिप्पणी देने के लिये, सनेह बना कर रखे .
बहुत ही सटीक सवाल अपने आप से.
जवाब देंहटाएंसटीक और सारगर्भित प्रश्न् उठाया है.आभार...
जवाब देंहटाएं