बूँद बूँद बरसाता बादल .जीवन की प्यास बुझाता बादल !
जहाँ बादलों को देखकर बच्चे बनांते थे रंग बिरंगी आकृतियाँ
वहां आज वो बादलों में ढूँढ़ते हैं सिर्फ गोल गोल रोटियां
उनका बसेरा था जहाँ वो सब बहा ले गया नीर
जीवन की प्यास बुझाने वाला विष बन गया नीर !
वो डरा हुआ बचपन, सहमा हुआ बचपन क्या कभी गा पायेगा
हरा समुंदर उसके अंदर बोल मेरी मछली कितना पानी
उन् आँखों ने जो देखा है .शायद अब वो नींद में भी कहेगें
इतना पानी, इतना पानी, इतना पानी !!!
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