प्रदूषित करते ना थके तुम ,भड़क गई उर में ज्वाला
क्रोधित हो कूद पड़ी गंगा ,सब कुछ जल थल कर डाला
डूब गए घर बार सभी कुछ ,राम शिवाला भी डूबा
कुपित हो गए मेघ देवता ,कोई नहीं है अजूबा
राजस्थान ,असम,झाड़खंड,नहीं बची उत्तरकाशी
प्रलय ये कभी नहीं सोचती ,कौन धरम कौनू भाषी
पर्वत पर्वत जंगल जंगल ,तुम चलाते रहे आरी
खूँ के आँसूं रोते हो अब ,आन पड़ी विपदा भारी
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खूँ के आँसूं रोते हो अब ,आन पड़ी विपदा भारी
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है, अति सुन्दर
बहुत सुन्दर.सटीक रचना..
जवाब देंहटाएंwaah rajesh kumari ji sach kaha aapne pralay kuch nahi dekhti ...............bahut sundar ek ek moti uttam
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया |
जवाब देंहटाएंसही आक्रोश |
बधाई दीदी ||
प्रकृति का कोप सम्हालना होगा।
जवाब देंहटाएंपर्वत पर्वत जंगल जंगल ,तुम चलाते रहे आरी
जवाब देंहटाएंखूँ के आँसूं रोते हो अब ,आन पड़ी विपदा भारी
कटु सत्य ...
अब भी हम सम्हल जायें तो भला हो ...!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
ab pralay nahi lao jag me bhauti badio samhal jao,vdhvnsonmukhho rahi prakrit apne karmo se jag jao...en panktio se aap ki vehtarin rachana ka swagat hai
जवाब देंहटाएंप्रकृति की नाराजी ना झेलनी पड़े तभी तक ठीक है ...
जवाब देंहटाएंआभार !
छंद में प्रलय को खूबसूरती से बाँधा है...मैं भी कुकुभ छंद लिखने का प्रयास करूँगी...आभार !!
जवाब देंहटाएंवाह प्रदूषण के भीषण परिणाम को किस खूबसूरती से छंद बध्द किया है ।
जवाब देंहटाएंIt's a wonderful creation ma'am. Awesome...Awesome....Awesome !
जवाब देंहटाएंप्रकृति के साथ खिलवाड़ के परिणाम तो भुगतने होंगे ,काट दिए सब पेड़ तो फिर क्यों ढूंढें छाँव .....काव्यात्मक प्रस्तुति टूटते पर्यावरण और पारितंत्र के परिणामों की ...बढ़िया पोस्ट .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 25 अगस्त 2012
काइरोप्रेक्टिक में भी है समाधान साइटिका का ,दर्दे -ए -टांग का
काhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
छंद बद्ध सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंछंद बद्ध बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंलखनऊ सम्मान मुबारक !
जवाब देंहटाएंब्लोगर सम्मान मुबारक !कैंटन (मिशगन )के शतश :प्रणाम !नेहा एवं आदर सेवीरुभाई .
बुधवार, 29 अगस्त 201
मिलिए डॉ .क्रैनबरी से
मिलिए डॉ .क्रैनबरी से
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद वीरेन्द्र शर्मा जी
जवाब देंहटाएंअब भी चेतो...छंद-बंद का बेहद ख्याल रक्खा गया है...खूबसूरत रचना...
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