आज तन्हा है दिल मेरा
अब होगा नहीं सवेरा
ये मैंने मान लिया
तमस होगा मेरे घर का महमाँ
चौखट पे खड़े सपनों ने कैसे जान लिया |
यादें बनेंगी फिर नीर के बादल
डसेंगे काले सर्प बनके आँख के काजल
दिल ने मान लिया
आज फिर होगी बरसात
चौखट पे खड़े सपनों ने कैसे जान लिया |
अपनी ही परछाई को बना के हमदम
फिर अपने आप से बाते करेंगे हम
दिल ने मान लिया
तिल -तिल कटेगी रात
चौखट पे खड़े सपनो ने कैसे जान लिया |
दिल पे देगी दस्तक हर चोट पुरानी
अश्रुओं की जुबाँ से सुनेंगे खुद की कहानी
ये मैंने मान लिया
फिर शिकवे करेगी बीती हर बात
चौखट पे खड़े सपनो ने कैसे जान लिया |
गर्द में लिपटी हुई वो प्यार की तस्वीर पुकारेगी
वो याद अपनी रात मेरे साथ गुजारेगी
दिल ने मान लिया
आज फिर ग़मों की निकलेगी बारात
चौखट पे खड़े सपनों ने कैसे जान लिया |
बड़ी सुन्दरता से दिल के विचारों की बरसात की है..
जवाब देंहटाएंयह गमों की बरसात कहाँ से चली आई .... सुंदर भावभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंक्या कहने ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति...
:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंmann ke gharate badal kavita ke roop mein bhey nikle hain, bahut sundar
जवाब देंहटाएंtippnni Kalpana Atray duara ki gayi hai.
भावमय करते शब्द ... बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबड़ी ही सरलता से मन के भावों को सजा दिया है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंसपने जो चौखट पे खड़े हैं हार नहीं मानेंगे...बस के आँखों में फिर से जिद ठानेंगे...सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचना !
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