(१)
सूरज ऊपर चढ़ रहा है
पडोसी कि खिड़की बंद है
मेरा रक्तचाप बढ़ रहा है|
(२)
खुद ही खींच लिया उसने हाथ
जो बढ़ाया था दोस्ती के लिए
मेरे बैंक बेलेंस का लगा होगा आघात |
(३)
वो प्यारी सी चिड़िया
जिसे आता था उसके बगीचे में मजा
आज बिजली के तार से लटके देखा
गलती या प्यार कि सजा ??
(४)
ना रंग ना धर्म की परिभाषा
नेत्रहीन तो जाने
बस स्पर्श की भाषा |
(५)
ना जाने प्यार की या धैर्य की परीक्षा
बूंदे पड़ रही हैं अनवरत
और उस फूल की गर्दन झुकी हुई
(६)
स्वप्न में तिरंगे के रंगों के अर्थ बदल गए
केसरिया =बाबा रामदेव की धोती
सफ़ेद =सरकार के खून का रंग
नीला चक्र =स्विस बेंक का चिन्ह
हरा =हारा हुआ लोकतंत्र
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आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 18/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया क्षणिकाएं राजेश जी...
तय नहीं कर पा रही हूँ कि सबसे अच्छी कौन सी....
सादर
अनु
अंतिम क्षणिका दिल को गहरे तक छू गयी...सभी उत्तम हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए धन्यवाद!
सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंदिल पर काबू कीजए, कस कर थाम लगाम।
जवाब देंहटाएंये पंछी उन्मुक्त है, उड़ता तेज उड़ान।।
चिंतनोन्मुख करती सशक्त क्षणिकायेँ...
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंपर सूरज को चढंने दो
रक्तचाप मत बढा़ओ
पडो़सी की खिड़की कौ
पत्थर मार के खटखटाओ!
बेहतरीन प्रस्तुति ....आभार
जवाब देंहटाएंअति सुंदर रचना है , क्यों न बार बार पढूं ?
जवाब देंहटाएं(६)
जवाब देंहटाएंस्वप्न में तिरंगे के रंगों के अर्थ बदल गए
केसरिया =बाबा रामदेव की धोती
सफ़ेद =सरकार के खून का रंग
नीला चक्र =स्विस बेंक का चिन्ह
हरा =हारा हुआ लोकतंत्र
मेरे से हाथ मिलाने से किसी के हाथ काले हो जाएँ ,तो मैं क्या कर सकता हूँ ,लाचार हूँ,इस देश का नियुक्त किया गया ,प्रधान मंत्री हूँ . कोयले की दलाली का कैग ने उदघाटन कर दिया है .
कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शुक्रवार, 17 अगस्त 2012
गर्भावस्था में काइरोप्रेक्टिक चेक अप क्यों
क्षणिकाएं नहीं इस दौर की हकीकत हैं ....
जवाब देंहटाएंकृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शुक्रवार, 17 अगस्त 2012
गर्भावस्था में काइरोप्रेक्टिक चेक अप क्यों
जीवन के व्यापक पक्षों को समेटती उत्कृष्ट क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक हैं सभी क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंसादर
(२)
जवाब देंहटाएंखुद ही खींच लिया उसने हाथ
जो बढ़ाया था दोस्ती के लिए
मेरे बैंक बेलेंस का लगा होगा आघात |
सामाजिक और राजनीतिक विसंगतियों पर कसाव दार व्यंजना बहुत खूब हैं भाव -विचार -कणिकाएं ,मेरा भाव ,तेरा भाव ,उसका भाव ,........राष्ट्र -अभाव सिंड्रोम .
स्वप्न में तिरंगे के रंगों के अर्थ बदल गए
जवाब देंहटाएंकेसरिया =बाबा रामदेव की धोती
सफ़ेद =सरकार के खून का रंग
नीला चक्र =स्विस बेंक का चिन्ह
हरा =हारा हुआ लोकतंत्र
..लोक तो गायव होने लगा है सिर्फ तंत्र ही नज़र आता है ..
बहुत सुन्दर सार्थक प्रस्तुति
aha...kya bat....bahut hi sundr
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंyatharth ki bijhijhak sargarbhit prastuti