(1)
चाँद निकला
बदरी का आँचल
धीमे धीमे ढलका
शांत झील में
प्रतिबिम्ब समाया
अंजुरी में चमका
(2)
किस अदा से
आज चाँद निकला
नजरें टिक गई
अधर हिले
चांदी के बदन पे
वो प्यार लिख गई
(3)
चांदनी रात
चंद्रमा की चकोरी
निकलती घर से
विरह व्यथा
नैनों से कहे कैसे
मिलने को तरसे
(4)
चंदा का गोला
दरख़्त में अटका
कई दिन से भूखा
झपट पड़ा
उसे रोटी समझा
कुदरत का खेला
(5)
चंदा मामा भी
औ चंदा माशूका भी
चकोरी प्रीतम भी
चंदा गृह भी
कवि की कल्पना भी
प्रभु की अल्पना भी
(6)
अर्ध चंद्रमा
सजे शिव के शीश
पूजा जाता पर्वों में
पूर्णिमा चाँद
चाँद देख मनाते
करवा चौथ ,ईद
बहुत बहुत सुन्दर राजेश जी....
जवाब देंहटाएंइस विधा में भी चमत्कार कर दिया आपने...
सादर
अनु
सभी एक से बढकर एक
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
इस विधा द्वारा लिखी एक से बढकर एक लाजबाब रचना के लिए,,,,राजेश कुमारी जी,बधाई
जवाब देंहटाएंRECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसादर
सभी शानदार....
जवाब देंहटाएंअति उत्तम....
और क्या कहू भावनाए समझीए...
:-):-)
ईद मुबारक !
जवाब देंहटाएंआप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
--
इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
सुंदर रचना..ईद मुबारक !
जवाब देंहटाएंचाँद सबके दिल में बसा है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सेदोका .... चाँद पर सभी रचनाएँ अच्छी लगीं ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएंआपको भी ईद मुबारक हो।
............
हर अदा पर निसार हो जाएँ...
जवाब देंहटाएंचाँद का रूपक बड़ा सजीव रहा .चाँद का मानवीकरण यूं सदियों से है ,भारत में होता है इसपे उल्का पात सरे आम ,सरे शाम ......बढ़िया भाव कणिकाएं .....दूर बसे प्रीतम की पाती सी ...साहूकार की थाती सी ...
ram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
अर्ध चंद्रमा
जवाब देंहटाएंसजे शिव के शीश
पूजा जाता पर्वों में
पूर्णिमा चाँद
चाँद देख मनाते
करवा चौथ ,ईद
बहुत सुंदर !
चाँद का मानवीकरण सौ बार हुआ है लेकिन आपने एक रूपक का निर्वाह तमाम भाव कणिकाओं में किया है .बधाई ...."सेदोका" की .भारत में तो सरे शाम उल्का पात होता है चाँद पे .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंसोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
नयी विधा से अवगत करने के लिए शुक्रिया...बेहतरीन रचनायें...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर , विषयानुरूप कोमलकान्त शब्दावली , भाव-सरिता प्रवाहमयी । रामेश्वर काम्बोज हिमांशु, http://trivenni.blogspot.com/ http://hindihaiku.wordpress.com/
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंनई विधा से परिचय कराने हेतु आभार.बेहतरीन भाव संजोये हैं................
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
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जवाब देंहटाएंbehtarin prastuti o bhi ek nye andaz me,kabile tarif bhi au gaur bhi,
वाह ...खूबसूरत एहसास ...कुछ चाँद का ,कुछ आपके शब्दों का जादू छा गया :)))
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