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शनिवार, 21 अप्रैल 2012

जय हिंद, वन्दे मातरम


जंग से पलटना तो मेरी फितरत में ना था 
मेरी राह में अगर  बमबारी  मिली तो क्या हुआ 
आँखों में दर्द की बदरी तो उमड़ी थी बहुत 
पलकों को झपकने की बारी ना मिली तो क्या हुआ
खून से भरे पिंड तो बहुत  बिखरे थे वहां 
एक मुकम्मल गर्दन हमारी ना मिली तो क्या हुआ 
लिपटा तो लिया तिरंगे ने यूँ कस के मुझे 
इक मुझे माँ की छाती प्यारी ना मिली तो क्या हुआ
लहरा तो दिया फिर जीत का पंचम हमने 
फतह में जिंदगी मुझे न्यारी ना मिली तो क्या हुआ 
                           जय हिंद , वन्दे मातरम 
                                         *****

26 टिप्‍पणियां:

  1. खून से भरे पिंड तो बहुत बिखरे थे वहां
    एक मुकम्मल गर्दन हमारी ना मिली तो क्या हुआ

    वाह वाह...............
    लाजवाब कविता.......
    बहुत बढ़िया .

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  2. बेहद हृदयस्पर्शी और दिल को छूती प्रस्तुति
    के लिए बहुत बहुत आभार.

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  3. देश के लिए इस जज्बे को नमन...

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  4. कोमल भाव,समीचीन सुन्दर कत्थ्य बधाईयाँ जी /

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  5. जंग से पलटना तो मेरी फितरत में ना था
    मेरी राह में अगर बमबारी मिली तो क्या हुआ
    आँखों में दर्द की बदरी तो उमड़ी थी बहुत
    पलकों को झपकने की बारी ना मिली तो क्या हुआ

    सुंदर प्रस्तुति,बेहतरीन और मार्मिक रचना । !

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...

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  6. गहरे भावों का उत्कृष्ट प्रकटीकरण।

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  7. बढ़िया रचना!
    वन्देमातरम!
    पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएँ!

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  8. देश के जाँबाज वीरों को हमारा है नमन
    जय हिंद वंदे मातरम, जय हिंद वंदे मातरम

    गर्व भी है , मर्म भी है..सुंदर रचना.....

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  9. बहुत सुन्दर वाह!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 23-04-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-858 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  10. clearly shows their selfless attitude..
    salute to them !!
    Lovely read :)

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  11. बहुत सुंदर रचना ... देश पर न्योछावर होने वाले वीरों को नमन

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  12. लिपटा तो लिया तिरंगे ने यूँ कस के मुझे
    इक मुझे माँ की छाती प्यारी ना मिली तो क्या हुआ
    लहरा तो दिया फिर जीत का पंचम हमने
    फतह में जिंदगी मुझे न्यारी ना मिली तो क्या हुआ

    rajesh ji bahut hi sundar rachana likhi hai apne badhai ke sath abhar bhi sweekaren

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  13. बहुत भावपूर्ण और्मन को छूती रचना |
    आशा

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  14. जंग से पलटना तो मेरी फितरत में ना था
    मेरी राह में अगर बमबारी मिली तो क्या हुआ.

    भावपूर्ण प्रस्तुति.

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  15. शहादत के लम्हों को साकार करती मूर्त करती स्वर देती रचना .

    शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले ,वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा .....

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  16. बहुत सुन्दर दिल को छूती हुई रचना

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  17. लिपटा तो लिया तिरंगे ने यूँ कस के मुझे
    इक मुझे माँ की छाती प्यारी ना मिली तो क्या हुआ..... क्या कमाल का लिखा है आपने ...

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  18. खून से भरे पिंड तो बहुत बिखरे थे वहां
    एक मुकम्मल गर्दन हमारी ना मिली तो क्या हुआ

    wah kya bat hai .....bahut sundar gazal rajesh ji ....badhai ke sath abhar bhi sweekaren

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