जंग से पलटना तो मेरी फितरत में ना था
मेरी राह में अगर बमबारी मिली तो क्या हुआ
आँखों में दर्द की बदरी तो उमड़ी थी बहुत
पलकों को झपकने की बारी ना मिली तो क्या हुआ
खून से भरे पिंड तो बहुत बिखरे थे वहां
एक मुकम्मल गर्दन हमारी ना मिली तो क्या हुआ
लिपटा तो लिया तिरंगे ने यूँ कस के मुझे
इक मुझे माँ की छाती प्यारी ना मिली तो क्या हुआ
लहरा तो दिया फिर जीत का पंचम हमने
फतह में जिंदगी मुझे न्यारी ना मिली तो क्या हुआ
जय हिंद , वन्दे मातरम
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