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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

बड़े बेखबर


आज मन में क्यूँ उठी मेरे लहर 
चाँद जाने दे गया कैसी खबर 
चलो घर को अपने करीने से सजा लूँ 
किसको  साथ लाती है मेरी सहर 
बहकी बहकी सी फ़िजा लगती है 
कौन जाने है ये किसका असर 
वो तो समझो ये है शाइस्तगी मेरी 
वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर 
आजकल दरवाजे उनके बंद रहते हैं 
चुपचाप ना जाने वो गए किधर 
रुसवाइयों से उन्हें  फर्क नहीं पड़ता 
कसम से हैं वो बड़े बेखबर 
रास्ता शायद वो दरिया भूल गया 
मुड़ गया इस ओर जो उसका कहर
*****
ग़ज़ल    

21 टिप्‍पणियां:

  1. कहाँ किसे ज्ञात रहता है कि कब क्या आ जायेगा।

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  2. बहुत बहुत सुन्दर

    वो तो समझो ये है शाइस्तगी मेरी
    वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर

    लाजवाब शेर................

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक सृजन, आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें

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  4. रुसवाइयों से उन्हें फर्क नहीं पड़ता
    कसम से हैं वो बड़े बेखबर
    रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
    मुड़ गया इस ओर जो उसका कहर... बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह||| बहुत ही सुन्दर
    बढ़िया अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह: बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ....बहुत बढ़िया रचना,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
    राजेश कुमारी जी,बहुत दिनों से मेरी पोस्ट पर आपका आना नही हुआ,आइये स्वागत है

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

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  8. कसम से हैं वो बड़े बेखबर
    रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
    मुड़ गया इस ओर जो उसका कहर
    ...
    बहुत सुंदर ....

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर रचना, प्रस्तुति
    आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया,"राजपुरोहित समाज" आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ
    ,एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से सभी को भगवन महावीर जयंती, भगवन हनुमान जयंती और गुड फ्राइडे के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं ॥
    आपका

    सवाई सिंह{आगरा }

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  10. वो तो समझो ये है शाइस्तगी मेरी
    वर्ना हक़ से कहती अभी और ठहर

    वेहद प्रभावशाली रचना ...

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  11. रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
    मुड़ गया इस ओर जो उसका कहर

    सुन्दर गजल ,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  12. रास्ता शायद वो दरिया भूल गया
    मुड़ गया इस ओर जो उसका कहर
    lajbab prastuti rajesh ji ...badhai

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  13. चाँद जब खुद खबर देने आयेगा
    चाँदनी में लपेट कर दे जायेगा
    खबर खुशखबर होगी एक जरूर
    नहीं तो चाँद खुद् कहाँ आयेगा !

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