कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी
कल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा
कल फिर अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी
एक और बुलंद आव़ाज का शीशा चट्केगा
कल फिर तिलस्मी वादों से जोड़ने की कोशिश होगी
फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो
कल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी
फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी
(कल आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह का क्या होगा मुझे नहीं पता पर आज मेरे मन में जो संशय उभर रहा है वही उद्दगार आप लोगों से साँझा कर रही हूँ.)
फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
जवाब देंहटाएंकल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी ...बहुत सुन्दर भाव.सार्थक पोस्ट..
सच कहा ... हम बस तमाशबीन की तरह ही बैठे रहेंगे ...... बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंthatz wat happening all around the globe..
जवाब देंहटाएंagony and anger perfectly expressed !!!
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा
जवाब देंहटाएंकल फिर अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी
बहुत सुन्दर भाव,,,
सादर,
अनु
सच्चाई को दर्शाती सशक्त प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब और सटीक ...
जवाब देंहटाएंबधाई!
कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी
जवाब देंहटाएंकल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा
कल फिर अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी ...आखिर क्यूँ हैं हम तमाशबीन ? क्या हम एक हैं ?
sarthak post hae par ab aesi koshishen kamyab nahin hone denge. meri nai post par aapke vichr aamantrit haen aabhar.
जवाब देंहटाएंसच है, यहाँ उड़ने वालों के पंख कतरे जाते हैं।
जवाब देंहटाएंज्वलंत मुद्दों पर केंद्रित सुंदर भावों से सुसज्जित सार्थक नज़्म...बधाई
जवाब देंहटाएंजब तपिश सूरज की बढ़ जाएगी अधिक,
जवाब देंहटाएंए सी आन कर मुह मोड़ने की कोशिश होगी....
सुंदर अभिव्यक्ति...
सादर।
फायदे औ लूट का है दौर चलता राज में
जवाब देंहटाएंबेईमां के बीच ईमां की यही हालत होगी
sundar rachna,bdhaai aap ko
जवाब देंहटाएंफिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
जवाब देंहटाएंकल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी ati sundar...
फिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
जवाब देंहटाएंकल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी
....bahut sundar rachana..
फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो
जवाब देंहटाएंकल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी
वाह!!!!!बहुत सुंदर रचना,क्या बात है,बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति,
MY RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
यही तो दुर्भाग्य है इस देश का ये वक्र मुखी सांसद संविधानिक सत्ता के सर्वोच्च केन्द्रों को भी चुन चुन कर नष्ट कर रहें हैं .अन्दर से ही कुछ होगा .
जवाब देंहटाएंएकदम सटीक!!
जवाब देंहटाएंसटीक एवं यथार्थ प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंफिर तमाश्बीन की तरह बैठे रहेंगे हम
जवाब देंहटाएंकल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी
(कल आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह का क्या होगा मुझे नहीं
नहीं सम्भले तो कल किसी विदेशी के हाथ सत्ता होगी
सशक्त अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएं