जैसे अंखियन नीर बिनु,जैसे धेनु क्षीर बिनु
जैसे भोजन खीर बिनु,जैसे होली अबीर बिनु
तैसे जीवन धीर बिनु ||
जैसे धरणी मेह बिनु ,जैसे मानव गेह बिनु
जैसे ज्योति नेह बिनु ,जैसे रजक रेह बिनु
तैसे जीवन स्नेह बिनु ||
जैसे रैना चन्द्र बिनु ,जैसे सैन्या यन्त्र बिनु
जैसे युद्ध षड्यंत्र बिनु ,जैसे कृषक जंत्र बिनु
तैसे जीवन महा मंत्र बिनु ||
ॐ भूर्भुवः स्वः ||
वाह.....
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया पढ़ कर राजेश जी...
बहुत बहुत सुन्दर............
सादर.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत बढ़िया लिखा है, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंवैसे ही नेट समय बिनु - अधुरा ! सुन्दर भाव !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंअद्भुत ! बहुत सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंhttp://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंबाकी सब एक दूसरे की पूर्णता के लिए हैं। बस,युद्ध और षड्यंत्र का मेल नहीं हो पा रहा।
जवाब देंहटाएंजीवन का सार निचोड़ कर रख दिया।
जवाब देंहटाएंwaah anand aa gaya rajesh ji ...jeevan ka saar , bahut umda .
जवाब देंहटाएंmeri nayi post shayad aapko pasand aaye
http://sapne-shashi.blogspot.in/2012/03/blog-post_28.html
कमाल की खूबसूरती है इस रचना में ....
जवाब देंहटाएंआभार आपका !
bahut umda!
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna aur rachna ka saar ek hi pankti me....तैसे जीवन महा मंत्र बिनु |
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