यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

नेह की वो परिभाषा


तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा 
कलम बद्ध न कर पायेगा कोई 
नेह की वो परिभाषा !
सप्त पदी से से चला वो प्यार का सफ़र 
हमसफ़र जिंदगी का ,हर राह हर डगर 
यूँ ही पूर्ण हो अब शेष,
अविछिन्न अभिलाषा !
तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा !
दिलों को जोड़ता अद्दभुत आकर्षण, 
वो निश्छल ,आसक्त अनुबंध,  
प्रेम का प्रगाढ़ समर्पण
छोड़े न कभी साथ;
चिर अनंत, अन्तः उर की आशा !
तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा !
कलम बद्ध न कर पायेगा कोई
नेह की वो परिभाषा !



24 टिप्‍पणियां:

  1. नेह की वो परिभाषा !
    bahut sunder rachna ...

    जवाब देंहटाएं
  2. सच में बहुत मुश्किल है इस नेह को परभाषित करना..बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना..

    जवाब देंहटाएं
  3. चिर अनंत, अन्तः उर की आशा !
    तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा !
    कलम बद्ध न कर पायेगा कोई
    नेह की वो परिभाषा !...

    Very touching creation...You made me emotional.

    Thanks ma'am.

    regards

    .

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका ब्लॉग पसंद आया. मैंने अभी हिंदी में लिखना शुरू किया है, आपको आमंत्रित करता हु.
    विरल त्रिवेदी
    फ्रॉम- पाटन गुजरात

    जवाब देंहटाएं
  5. नेह की परिभाषा आँखों में होती है, कागज पर नहीं लिखी जा सकती ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर ..हिय की वो मूक भाषा .

    जवाब देंहटाएं
  7. कैसे शब्दों में ढालेंगे, शब्दरहित उस भाषा को..
    बहुत सुन्दर कविता...

    जवाब देंहटाएं
  8. सार्थक है ये परिभाषा.....नेह की वो परिभाषा !

    जवाब देंहटाएं
  9. तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा !
    कलम बद्ध न कर पायेगा कोई
    नेह की वो परिभाषा !
    सार्थक, सुन्दर व बेहतरीन प्रस्तुती ,

    जवाब देंहटाएं
  10. लाज़वाब! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर प्रस्तुति
    तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा
    कलम बद्ध न कर पायेगा कोई
    नेह की वो परिभाषा !

    धन्यवाद |

    नई प्रस्तुति के साथ आकाश कुमार on http://www.akashsingh307.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  12. नेह को कलमबद्ध किया भी नहीं जा सकता .सुन्दर!!

    जवाब देंहटाएं
  13. मन के कागज़ पर भावनाओं से लिखी जाती है नेह की परिभाषा...
    बहुत सुन्दर..

    जवाब देंहटाएं
  14. चिर अनंत, अन्तः उर की आशा !
    तेरे मेरे हिय की वो मूक भाषा !
    कलम बद्ध न कर पायेगा कोई
    नेह की वो परिभाषा !lajabav.

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह ..बहुत खूबसूरत रचना .. मूक भाषा में नेह की परिभाषा कहती हुई सी ..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सप्त पदी से से चला वो प्यार का सफ़र
      हमसफ़र जिंदगी का ,हर राह हर डगर
      यूँ ही पूर्ण हो अब शेष,
      अविछिन्न अभिलाषा !
      Kya gazab likhtee hain aap!
      Comment box nahee khul raha,isliye yahan comment de rahee hun.Kshama karen!

      हटाएं
  16. सप्त पदी से से चला वो प्यार का सफ़र
    हमसफ़र जिंदगी का ,हर राह हर डगर
    यूँ ही पूर्ण हो अब शेष,
    अविछिन्न अभिलाषा !


    bahut hi sundar chitran rajesh ji .....bilkul umda ...badhai sweekaren.

    जवाब देंहटाएं