पग- पग पे समझाया उसने
मैं आगे कदम बढ़ाती रही,
जिन राहों पर रोका उसने
मैं उन राहों पर जाती रही !
पतन खड़ा तेरी चौखट पे
मैं जीत का जश्न मनाती रही,
गलत है ये टोका उसने
मैं धूल की तरह उड़ाती रही!
हरसूं मैं तुझको देख रहा
मैं अट्टाहस कर झुठलाती रही
औंधे मुंह गिर जाओगी
मैं खुल के पेंग बढ़ाती रही !
जब खिसक गई पैरों से जमीं
मैं मूढ़ मति किस्मत पे दोष लगाती रही !
कभी कभी ऐसा ही होता है की किसी की बात नहीं सुनी जाती और जब दर्द मिलता है तो किस्मत को ही दोषी मान लिया जाता है ..
जवाब देंहटाएंकाफी गहरी अभिव्यक्ति है ....
जवाब देंहटाएंजीवन के सत्य को उजागर करती बढ़िया रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत खुबशुरत अच्छी रचना आखिरी की ४ पन्तियाँ में रचना का सार है
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट ....के लिए बधाई....
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जब खिसक गई पैरों से जमीं
जवाब देंहटाएंमैं मूढ़ मति किस्मत पे दोष लगाती रही !...nahi manne per yahi haal hota hai
जीवन का कटु सत्य है.... जिससे आपने अवगत कराया है....
जवाब देंहटाएंजब खिसक गई पैरों से जमीं
जवाब देंहटाएंमैं मूढ़ मति किस्मत पे दोष लगाती रही !
....जीवन का एक कटु सत्य जिसे हम जानबूझ कर झुठलाते रहते हैं...बहुत सुंदर
जब खिसक गई पैरों से जमीं
जवाब देंहटाएंमैं मूढ़ मति किस्मत पे दोष लगाती रही !
समय पर संभल जाने बेहतर कुछ नहीं.... सुंदर रचना
आपने बहुत ही सुन्दर गीत रचा है !
जवाब देंहटाएंजीवन के सत्य को उजागर करती बढ़िया रचना.
बधाई हो
main jindagi dhuyein mein udata chala gay...jashn manata chala gaya...lekin ye acchi baat nahi hai..kismat par dosh lagaane se koi fayda nahi...behtari prastuti..mere blog par aap sadar amantrit hain
जवाब देंहटाएंha ye bat to sach haikoi hame sahi marg dikhata hai,, par ham apni dhunki me itane mast rahate hai ki bat nahi manate or kam bigad jane par nasib ,kismat ko dosh lagate hai...
जवाब देंहटाएंis baat ko apne bakhubi se apni kavita me vyakt kiya hai
ati uttam rachana hai...
है कोई, दिखाता पथ, हर पल।
जवाब देंहटाएं्सच कहा ………गलतियो के लिये हम खुद जिम्मेदार होते हैं।
जवाब देंहटाएंमूर्च्छा और जागरण के बीच यही फर्क है.
जवाब देंहटाएंपतन खड़ा तेरी चौखट पे
जवाब देंहटाएंमैं जीत का जश्न मनाती रही,
गलत है ये टोका उसने
मैं धूल की तरह उड़ाती रही!
bahut achchi rachna...
welcome to my blog :)
मनुष्य प्रगति के मद में यूँ ही बढ़ता जाता है पर जिंदगी जब आईना दिखाती है तो उस विराट के आगे अपनी हस्ती का आभास ऐसा ही होता है जैसा आपने लिखा
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
जवाब देंहटाएंगहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने !
जवाब देंहटाएंsome very strong n intense lines !!
जवाब देंहटाएंgalat baat ke liye kisi ka tokna kai baar bardaasht nahin hota, aur jab khaamiyaja bhugatata hai to kismat ka dosh...aise hin hain hum sabhi. achchhi rachna.
जवाब देंहटाएंजिन राहों पर रोका उसने
जवाब देंहटाएंमैं उन राहों पर जाती रही !
जीवन के सत्य को उजागर करती रचना.
सही कहा आप ने राजेश जी. ..गहन अनुभूति लिए सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंOur inner voice always guides us. Quite realistic creation.
जवाब देंहटाएंशानदार और प्रभावी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना जी ...
जवाब देंहटाएंहोता सबके साथ है जो आपने महसूस किया... सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahut achcha likha aapne rajesh jee.aapki sari baton se sahmat hun.
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