अगर आप देश भक्त हैं तो जरूर पढ़े -----
Cellular Jail Slideshow: Rajesh’s trip to मुssoorie, Uttarakhand, India was created by TripAdvisor. See another Mussoorie slideshow. Create a free slideshow with music from your travel photos.aaआज का दिन हमारे लिए ख़ास था !
सेलुलर जेल के विषय में बहुत कुछ सुन और पढ़ रखा था अतः उसको
पास जाकर देखने की इच्छा थी !
सेलुलर जेल के विषय में बहुत कुछ सुन और पढ़ रखा था अतः उसको
पास जाकर देखने की इच्छा थी !
अपने आप को उस वक़्त उस परिस्थिति में आत्मसात करने की हार्दिक इच्छा थी,सो आज पूरी हो गई !जो कुछ मैंने वहां जाना ,समझा वही आप सब से बाँट रही हूँ !
अंडमान में कुल १८४ छोटे बड़े आईलेंड हैं !सबसे बड़ा और अन्य
राज्यों के नजदीक पोर्ट ब्लेयर है जो अंडमान की केपिटल बनाया गया है ,यंही पर स्थित है सेलुलर जेल !
राज्यों के नजदीक पोर्ट ब्लेयर है जो अंडमान की केपिटल बनाया गया है ,यंही पर स्थित है सेलुलर जेल !
इस जेल का निर्माण १८९६ में शुरू हुआ और १९०९ में पूर्ण हुआ !
इसको बनाने में जो ईंटे प्रयोग की गई वो बर्मा से लाइ गई थी !
इसको बनाने में जो ईंटे प्रयोग की गई वो बर्मा से लाइ गई थी !
बिल्डिंग में सात विंग हैं जो साइकिल के पहिये के आकार में बनाये
गए हैं !सबसे ऊपर एक कमरा है जिसमे बहुत बड़ी घंटी है जो अलार्म का काम करती थी तथा जिससे सातों विंग्स पर नजर रखी जा सकती थी !
उसमे ६९८ कैद कोठरी हैं जिनका आकार ४.५ -२.७ मीटर है
हर कोठरी में एक रोशनदान है !एक कैदी दुसरे से बात
नहीं कर सकता था उसी के ऊपर इसका नाम सेलुलर पड़ा !
हर कोठरी में एक रोशनदान है !एक कैदी दुसरे से बात
नहीं कर सकता था उसी के ऊपर इसका नाम सेलुलर पड़ा !
सबसे पहले १० मार्च १८५८ में सुप्रिडेंट ज.बी वालकर
२०० फ्रीडम फाइटर्स के साथ अंडमान में आया
फिर १८६८ में ७३३ का बेच अप्रैल में आया वहां
२०० फ्रीडम फाइटर्स के साथ अंडमान में आया
फिर १८६८ में ७३३ का बेच अप्रैल में आया वहां
उनको जंगलों में पेड़ों से बांधकर रखा जाता था
तेज बारिश में जंगलों में कीड़े ,बिच्छुओं ,जोक आदि के साथ
सड़क बनाने के लिए जंगलों की सफाई कराइ जाती थी !
तेज बारिश में जंगलों में कीड़े ,बिच्छुओं ,जोक आदि के साथ
सड़क बनाने के लिए जंगलों की सफाई कराइ जाती थी !
फिर जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को लाने का सिलसिला शुरू हुआ
उनको तरह तरह की यातनाएं दी जाती थी सब्जी में जंगल की
बड़ी बड़ी घास को उबालकर खिला देते थे मल मूत्र तक खाने के
लिए बाध्य करते थे !
उनको तरह तरह की यातनाएं दी जाती थी सब्जी में जंगल की
बड़ी बड़ी घास को उबालकर खिला देते थे मल मूत्र तक खाने के
लिए बाध्य करते थे !
फिर हमने रात को लाईट एंड साउंड का प्रोग्राम देखा ---
कुछ चित्र उस वक़्त के ---
कुछ चित्र उस वक़्त के ---
यह प्रग्राम बहुत हर्दय स्पर्शी रहा !नाटक के रूप में कुछ इसके अंश प्रस्तुत किये गए ,उसमे एक पीपल के जीवंत पेड़ को सूत्रधार बनाया गया !
यह पेड़ आज भी जेल के प्रांगन में जस का तस खड़ा है !पीपल का यह पेड़ उस समय के सारे द्रश्यों सारी दुःख भरी यादों को अपने में समेटे हुए है
यह कहता है जाने कितनी आंधिया चली बवंडर आये जो मुझे हिला भी न सके किन्तु जब जब मेरे देश भक्तों की चीखें मेरे कानों में पड़ती थी न जाने कितने पत्ते मेरे थर थर कांपते हुए शरीर से कूद कर आत्महत्या कर लेते थे
मेरी हर डाल पर बुलबुले बैठ कर देश भक्ति के गीत गाती थी !
मैं दूर से सब कुछ देखता रहता जब मेरे वीर की कमर पर कोड़े बरसते थे तो उसके साथ मैं भी बोलता था बन्दे मातरम !जब वो भूख हड़ताल करते थे मैं अपने पंखों से उनको शुद्ध हवा देकर जिन्दा रखने की कोशिश करता !उनको नया उदय होता हुआ सूरज दिखाता !
उस समय ली गई विडियो के दो क्लिप देखिये अँधेरा बहुत था पर मुश्किल से यह छोटी सी क्लिपिंग कुछ स्पष्ट आई
जैसे जैसे प्रोग्राम चल रहा था लोगों के दिल में देशभक्ति की भावना व
गुस्सा भी भरता जा रहा था सभी के मन में यही बात आ रही थी की कितनी क़ुरबानी कितनी यातनाएं सह कर हमने यह आजादी पाई और आज हमारा देश कितने भ्रष्ट ,कितने बेईमान ,मक्कार हाथों में चला गया
है काश आज इन लोगों के लिए यह सेलुलर फिर खुल जाये !!!
हमारी सरकार के पास तो आज तक यह आंकड़े भी नहीं हैं की इस सेलुलर में कितने देशभक्त कैदी रखे गए हैं पर कोशिश करें तो ब्रिटिशर्स
के पास जरूर होंगे !इस तरह इस प्रोग्राम को देख कर भारी मन से कुछ यादें साथ लेकर हमने अपनी यात्रा समाप्त की !आप भी कभी अंडमान जाएँ तो सेलुलर जेल अवश्य देखिये !
बहुत कुछ बताया है आपने,
जवाब देंहटाएंअपना चक्कर देखते है कि कब लग पाता है?
wow... so many things
जवाब देंहटाएंso many facts
an awesome post :)
रौंगटे खडे करने वाला विवरण …………सच कहा आज क्या हाल किया है मेरे देश का इन नेताओं ने…………सुनिये इसे भी मै लिंक दे रही हूं कैसे सब अपनी अपनी तरह धिक्कार रहे है मगर इन पर असर नहीहै।
जवाब देंहटाएंhttp://www.youtube.com/watch?feature=player_detailpage&v=1JTsP5lzMMY
इसे सुनियेगा जरूर ………यू ट्यूब का लिंक है।
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 12-12-2011 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंअंग्रेजों के ज़ुल्म की गाथा सुनाती है सेल्युलर जेल ।
जवाब देंहटाएंबहुत दुःख हुआ था कोल्हू और फाँसीघर देखकर ।
वीरों की पीड़ा अब भी वहाँ बसती होगी, सुनायी भी देते होंगे अंग्रेजों के अट्टाहस स्वर।
जवाब देंहटाएंऔर देखिए,कितने चलताऊ तरीक़े से हम कह देते हैं कि आज के ज़माने से अच्छा तो अंग्रेज़ी राज था!
जवाब देंहटाएंबोलते चित्र सुन्दर.जानकारियाँ..
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंrongte khade ho gaye....
A very important post. Thanks ma'am.
.
काला पानी और इस कल को ससोच के वीर सावरकर की याद ताज़ा हो जाती है ... फोटो बहुत कमाल हैं आपकी ...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.बधाई....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट...
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लु भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूब रहा है, नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें थे तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
आपका स्वागत है
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सेलूलर जेल का वर्णन सावरकर जी के किताब में भी आता है । अंग्रेजी राज की तारीप करने वाले शायद कभी अंदमान नही गये । सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकालापानी नाम की यह जगह आजकल पयर्टन स्थल बन गयी है| देश के वीरों को नमन ..........
जवाब देंहटाएंबोलती हुई और सजीव चित्रों के साथ जानकारी से भरपूर बहुत ही बढ़िया और उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी संम्स्मरण !
जवाब देंहटाएंromanch ho aaya ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंWoah! I'm really loving the template/theme of this blog. It's simple,
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