मेरे ख़्वाबों के परों को आसमाँ मिलता रहा पर,उसको गज भर जमीं ना मिली !
कितनी सुद्रढ़ है मेरे आशियाने की नीव पर , उसको एक पग देहली ना मिली!
हीरे मणिक,रत्नों से भरा है मेरा पारावार पर, उसको खारी एक बूँद ना मिली!
सतपक्वानो से भरी है मेरी थाली पर, उसे दो सूखी रोटी ना मिली !
कितनी गर्म ,नर्म है मेरी रिजाई पर,उसे फटी एक कंबली ना मिली !
फिर भी कितने सुकून से सोता है वो पर ,मुझे इक पहर भर नींद ना मिली !
और मैं इस पर के बोझ से भरी गठरी को अपनी नाव में रख कर जीवन भर खेती चली गई !!!
कितनी सुद्रढ़ है मेरे आशियाने की नीव पर , उसको एक पग देहली ना मिली!
हीरे मणिक,रत्नों से भरा है मेरा पारावार पर, उसको खारी एक बूँद ना मिली!
सतपक्वानो से भरी है मेरी थाली पर, उसे दो सूखी रोटी ना मिली !
कितनी गर्म ,नर्म है मेरी रिजाई पर,उसे फटी एक कंबली ना मिली !
फिर भी कितने सुकून से सोता है वो पर ,मुझे इक पहर भर नींद ना मिली !
और मैं इस पर के बोझ से भरी गठरी को अपनी नाव में रख कर जीवन भर खेती चली गई !!!
phir bhee taazindgee shikaayat kartee rahee
जवाब देंहटाएंnice
काश कि जो अपने पास था लुटाया होता
जवाब देंहटाएंतब इस पर ने न इतना सताया होता
काश, कुछ ऐसा होता,
जवाब देंहटाएंकाश, कुछ वैसा होता।
सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंआभार !
इस किन्तु परन्तु के चक्कर में ही तो जिंदगी गुजर जाती है और पता भी नहीं चलता ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
पारो की चाह रखने वाले को जमीं पर आशियाना नहीं बनाना चाहिए ... जब पूरा गगन है उसके लिए तो उड़ते जाना चाहिए ... सुन्दर रचना है ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंफिर भी कितने सुकून से सोता है वो पर ,मुझे इक पहर भर नींद ना मिली ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति |
ये पर का बोझ वाकयी बहुत भारी होता है ..
जवाब देंहटाएंपर के बोझ को बहुत करीने से सहेजा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...!
जवाब देंहटाएंआर्थिक प्रगति के आंकड़ों को कसके चपत लगाती रचना .
जवाब देंहटाएंbahut hi aakarshak va bodhgamya rachana .....sundar
जवाब देंहटाएंजबरदस्त अभिवयक्ति.....वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंपर का बोझ ... becomes too heavy sometimes !!
जवाब देंहटाएंपर का बोझ हमेशा ही भारी होता है ....हर एक के जीवन में !!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
'par' ek aisa shabd bhaav hai jivan ke liye jo kai sawaal chhod jata hai par ham jaante hue bhi kah nahin paate. shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंबोझ हमेशा ही भारी होता है.. सुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ नहीं होता , इसी 'पर' के साथ जीना होता है...ये जीवन एक संघर्ष है, एक तपस्या है!
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi abhivyakti hai...
जवाब देंहटाएंbahut badiyaa prastuti.badhaai aapko .
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स मीट वीकली (२२) में शामिल की गई है /कृपया आप वहां आइये .और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका सहयोग हमेशा इसी तरह हमको मिलता रहे यही कामना है /लिंक है
http://hbfint.blogspot.com/2011/12/22-ramayana.html
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजिन राहों पर रोका उसने
जवाब देंहटाएंमैं उन राहों पर जाती रही !
पतन खड़ा तेरी चौखट पे
मैं जीत का जश्न मनाती रही,
bahut kuch sametati hui rachana hai ... abhar.