कल्पना की पराकाष्ठा
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !
कवियों की नन्ही जान,
शब्दों में मुस्काई कविता !
कभी दोहा, कभी छंद
कभी ग़ज़ल कभी गीत अनुबंध
हर रूप में समाई कविता
हिंदी साहित्य के सागर में
डूब के नहाई कविता
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !
पञ्च तत्वों की ओढ़ चुनर
फसलों संग लहराई कविता
फूल फूल पर कलि कलि पर
तितली बन इठलाई कविता !
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !
राजनीति के गलियारों में
सेंध लगा कर आई कविता
भ्रष्टाचार के सड़े फूंस में
आग लगा कर आई कविता !
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !
शहीद स्मारक के क़दमों में
दीप जला कर आई कविता
देशप्रेम का जयकारा कर
तिरंगा फहरा कर आई कविता !
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !!
शहीद स्मारक के क़दमों में
जवाब देंहटाएंदीप जला कर आई कविता
देशप्रेम का जयकारा कर
तिरंगा फहरा कर आई कविता !
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !!....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावो को संजोया है।
जवाब देंहटाएंशब्दों से थपकाती कविता।
जवाब देंहटाएंman ko bhai sunder kavita ...
जवाब देंहटाएंअक्सर जीवन में भी कविता महकती रहती है ... ऐसे ही इठलाती रहती है ...
जवाब देंहटाएंbehad khubsurat hai ye kavita
जवाब देंहटाएंपञ्च तत्वों की ओढ़ चुनर
जवाब देंहटाएंफसलों संग लहराई कविता ...बहुत ही खूबसूरत भाव
सबके मन को भाई कविता
जवाब देंहटाएंहमको बहुत पसंद आई कविता
वाह ...पक्तियां तो बहुत ही खुबसूरत हैं
जवाब देंहटाएंबहुत खुबशुरत सुंदर रचना,कुछ पन्तियों का जबाब नहीं,बेहतरीन पोस्ट,.
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
फूल फूल पर कलि कलि पर
जवाब देंहटाएंतितली बन इठलाई कविता !
वाह! आपकी कविता तो कमाल करती है जी.
मृदु,सौम्य,सरल ,कठोर सभी भावों को व्यक्त करती.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.
बहुत पसंद आई कविता
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएं--
आपकी प्रवि्ष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार 22-12-2011 के चर्चा मंच पर भी की या रही है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
कभी दोहा, कभी छंद
जवाब देंहटाएंकभी ग़ज़ल कभी गीत अनुबंध
हर रूप में समाई कविता
हिंदी साहित्य के सागर में
डूब के नहाई कविता
वाह !!!बहुत ही सुंदर कविता........
bahut sundar tarike se kavita ko varnit kiya gaya hai..
जवाब देंहटाएंsundar abhivyakti..
कविता बहुआयामी है सही है |उन्दा अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
अद्भुत सुन्दर कविता! शानदार और भावपूर्ण प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 22 -12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... क्या समझे ? नहीं समझे ? बुद्धू कहीं के ...!!
बहुत ही खूबसूरत कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर, बधाई.
जवाब देंहटाएंकितनी सुंदर बन आयी कविता...
जवाब देंहटाएंकभी दोहा, कभी छंद
जवाब देंहटाएंकभी ग़ज़ल कभी गीत अनुबंध
हर रूप में समाई कविता
बहुत ही सुन्दर...
सादर बधाई
एक कवि के ह्रदय से निकली कविता .......
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ूबसूरत प्रस्तुति..लय, शब्दों और भावों का अद्भुत संयोजन..आभार
जवाब देंहटाएंकल्पना की पराकाष्ठा
जवाब देंहटाएंअन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !
कवियों की नन्ही जान,
शब्दों में मुस्काई कविता !
..bahut sundar kavita...
मन को भाई सुंदर कविता समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत हैhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंhttp://aapki-pasand.blogspot.com/
बहुत सुन्दर लेखन है ..
जवाब देंहटाएंमेरा पता कलमदान.ब्लागस्पाट.कॉम
RITU BANSAL
वाह ...बहुत ही बढि़या भाव संयोजन इस रचना में .आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंक्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
माहौल है अब भी वही,पर वह नहीं तेवर रहा
जवाब देंहटाएंकवि कर्म भूले,कल्पना में स्वार्थ सीधा दिख रहा
शहीद स्मारक के क़दमों में
जवाब देंहटाएंदीप जला कर आई कविता
देशप्रेम का जयकारा कर
तिरंगा फहरा कर आई कविता !
अन्तरिक्ष को छू कर आई कविता !!
ak behtareen prastuti sadar abhar .ap mere blog tk aayeen eske liye koti koii abhar ... Nishachay hi apki rachanon ka koi jod nahi hai
शहीद स्मारक के क़दमों में
जवाब देंहटाएंदीप जला कर आई कविता
देशप्रेम का जयकारा कर
तिरंगा फहरा कर आई कविता !
बहुत सुन्दर लगी कविता...
Happy new year to you and your family.
जवाब देंहटाएंकविता के इतने सारे रूप और उसके अन्तरिक्ष के किसी भी कोने को न छोड़ने का वर्णन बहुत ही सुंदर लगा. ये कविता भी क्या क्या कर जाती है?
जवाब देंहटाएंआभार !
inqlaab ka dep jalakar swayam amar ho jaati kavita...bahut achche..
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