आ थोडा विश्राम कर लें
इस धरा का बना बिछौना
ऊपर से आकाश ओढ़ लें !
इस पथ पर पुष्प खिले थे
या कांटो का जाल था
हरित सघन बट छाया थी
या अंधड़ भूचाल था
क्या पाया क्या खोया हमने
आ थोड़ी ये गणना कर लें
थक गए हैं पाँव मुसाफिर
आ थोडा विश्राम कर लें !
शांति ,सत्य ,सन्मार्ग ,समर्पण
आ कुछ उनकी खोज खबर लें
खो गए थे जो राहों में
आ उनको बाहों में भर लें !
भूल के अपने जख्मों को
ये सोचो क्या खोया हमने
याद करो किसके दिल पर
आज मरहम लगाया हमने
खुद के लिए जिए थे अब तक
आ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !
संघर्षों के बाद विश्राम आवश्यक है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के भाव और अभिव्यक्ति भी .....
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
वाह अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें
नीरज
कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !
बेहतरीन।
सादर
हम जैसे मुसाफ़िर आराम नहीं करते, आराम तो आलसी लोग करते है।
जवाब देंहटाएंकल 21/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
बेजोड भावो का सुन्दर संगम्……………बहुत पसन्द आयी रचना
खुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !
--
आज इन्हीं भावनाओं का अकाल हो गया है!
मगर आपने बहुत फिनव संदेश दिया है इस रचना में!
याद करो किसके दिल पर
जवाब देंहटाएंआज मरहम लगाया हमने
वह , बहुत khoob ।
सुन्दर rachna ।
भावपूर्ण अभिवयक्ति....
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !
लाजवाब गीत बहुमूल्य विचार ...आभार संग्रहणीय
Gahare Bhav.... Bahut Sunder
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !
सुंदर संदेश , अच्छी रचना ।
भूल के अपने जख्मों को
जवाब देंहटाएंये सोचो क्या खोया हमने
याद करो किसके दिल पर
आज मरहम लगाया हमने
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ ! सुन्दर सन्देश देती रचना !
sunder bhavon se saji rachna ......
जवाब देंहटाएंaabhar mere blog par aaneka ....
बेहद खूबसूरत,अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंभूल के अपने जख्मों को
जवाब देंहटाएंये सोचो क्या खोया हमने
याद करो किसके दिल पर
आज मरहम लगाया हमने
खुद के लिए जिए थे अब तक
आ औरों की खातिर जी लें
यही सच्ची जिन्दगी है....
बड़ी सुन्दर रचना....
सादर बधाई...
सहज भावाभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंखुद के लिए जिए थे अब तक
जवाब देंहटाएंआ औरों की खातिर जी लें
मार्मिक रचना .... बधाई.
बालसाहित्य का अनोखा संसार
क्या पाया क्या खोया हमने
जवाब देंहटाएंआ थोड़ी ये गणना कर लें
थक गए हैं पाँव मुसाफिर
आ थोडा विश्राम कर लें !
जीवन का आकलन करती बहुत सुन्दर सारगर्भित रचना...बहुत सुन्दर चित्र संयोजन...बधाई.
भूल के अपने जख्मों को
जवाब देंहटाएंये सोचो क्या खोया हमने
याद करो किसके दिल पर
आज मरहम लगाया हमने
खुद के लिए जिए थे अब तक
आ औरों की खातिर जी लें
अहम् का नशा पिया था अब तक
आ औरों का दर्द भी पी लें !....कितनी नाज़ुक बात, कितनी आसानी से कह दिया ...
थक गयें हैं पाँव मुसाफिर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा।
khud k liye jiye the ab tak
जवाब देंहटाएंaa auron k liye jee len...
waah... behad khoobsoorat rachna... sundar