हमारे
पर्व
शुभ हो
धनतेरस तुम्हें ,स्वर्ण
कलष लो तोल|
मैं
बांटू रस छंद ये ,बिना
भाव बिन मोल||
पाओ तुम
सम्पन्नता ,पर दुःख
ग्रंथि खोल|
प्रणय
भाव से ही खुलें ,खुशियों
के सब झोल||
झिल-मिल
दीपक अवलियाँ, अंतर भरें उजास।
दूर करें दुर्भावना , भरती सरस मिठास ॥
दूर करें दुर्भावना , भरती सरस मिठास ॥
गोवर्धन में पूजते ,गौ माता को लोग|
जिसके मीठे दुग्ध से, बनते छप्पन भोग||
जिसके मीठे दुग्ध से, बनते छप्पन भोग||
प्यारा
बहनों को बहुत,भ्रात दूज का पर्व|
बहनों के इस स्नेह पर ,भाई करते गर्व||
बहनों के इस स्नेह पर ,भाई करते गर्व||
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सारे पर्वों की आपको भी मंगल कामनाएं..सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंसबको ही त्योहार की ढेरों शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसभी पर्वों का लेखाजोखा .... बहुत उत्तम ...
जवाब देंहटाएंढेरों शुभकामनायें ...
वाह !पुरे पांच दिनों के सभी त्योहार का सुन्दर चित्रण |
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
नई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
भावो का सुन्दर समायोजन......
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