हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे
नई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
राहों में जब
तेरी कंटक आयेंगे
उलझेंगे फिर
मन को बहुत डरायेंगे
आगे बढ़कर उस डाली को तोड़ दे
जहरीली मूलों को तू झिंझोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
घर के तेरे
दरवाजे भी टोकेंगे
मर्यादा की
बैसाखी से रोकेंगे
आगे बढ़कर उनके रुख को मोड़ दे
घूंघट में छुप कर शर्माना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
दुश्मन तेरे
होंसलों को ढापेंगे
अवसर पाकर
तेरे कद को नापेंगे
उठकर उनकी गर्दने तू मरोड़ दे
अबला तू खुद को कहलाना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
तेरे साथी
घर से बाहर आयेंगे
तेरे क़दमों
से वो कदम मिलायेंगे
एक हाथ से दूजा हाथ तू जोड़ दे
दुराचारियों के मंसूबे तोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
तुझ में दुर्गा
तुझी में शक्ति छुपी हुई
समझा दे तू
बैरी को अब अति हुई
झूठे बंधन झूठी रस्में छोड़ दे
राहों के पत्थर ठोकर से फोड़ दे
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
नई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
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राहों में जब
तेरी कंटक आयेंगे
उलझेंगे फिर
मन को बहुत डरायेंगे
आगे बढ़कर उस डाली को तोड़ दे
जहरीली मूलों को तू झिंझोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
घर के तेरे
दरवाजे भी टोकेंगे
मर्यादा की
बैसाखी से रोकेंगे
आगे बढ़कर उनके रुख को मोड़ दे
घूंघट में छुप कर शर्माना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
दुश्मन तेरे
होंसलों को ढापेंगे
अवसर पाकर
तेरे कद को नापेंगे
उठकर उनकी गर्दने तू मरोड़ दे
अबला तू खुद को कहलाना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
तेरे साथी
घर से बाहर आयेंगे
तेरे क़दमों
से वो कदम मिलायेंगे
एक हाथ से दूजा हाथ तू जोड़ दे
दुराचारियों के मंसूबे तोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
तुझ में दुर्गा
तुझी में शक्ति छुपी हुई
समझा दे तू
बैरी को अब अति हुई
झूठे बंधन झूठी रस्में छोड़ दे
राहों के पत्थर ठोकर से फोड़ दे
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
नई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
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सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंजागो
जवाब देंहटाएंझूठे बंधन झूठी रस्में छोड़ दे
जवाब देंहटाएंराहों के पत्थर ठोकर से फोड़ दे
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!
नई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
सुंदर प्रेरक सृजन ! बेहतरीन रचना !!
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जोश और उमंग की एक नै ज़मीन तोडती रचना -
जवाब देंहटाएंदुश्मन तेरे
होंसलों को ढापेंगे
अवसर पाकर
तेरे कद को नापेंगे
उठकर उनकी गर्दने तू मरोड़ दे
अबला तू खुद को कहलाना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
उठ चल उनकी गर्दन तू तोड़ दे।
सुंदर आह्वाहन !
जवाब देंहटाएंशक्ति और आसक्ति, दोनों ही साधती है नारी
जवाब देंहटाएंझूठे बंधन झूठी रस्में छोड़ दे
जवाब देंहटाएंराहों के पत्थर ठोकर से फोड़ दे
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
नई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
*!
बहुत सुन्दर आहवान
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अबला तू खुद को कहलाना छोड़ दे
जवाब देंहटाएंनारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे ...
नारी चाहे तो कुछ भी कर सकती है ... वो शक्ति है ... दुर्गा है ओर हर कार्य में अग्रणी है ... सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
जोश भरती हुई सुंदर पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंनारी चाहे तो कुछ भी कर सकती है, मन में दृढ संकल्प ले तो दुनियां नारी के कदमों में ,नारी में जोश भर्ती बहुत ही सुन्दर कविता,आपका आभार आदरेया .
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंdownloading sites के प्रीमियम अकाउंट के यूजर नाम और पासवर्ड
उम्दा प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंपापा मेरी भी शादी करवा दो ना
सुन्दर भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंअब मोड़ना ही होगा रास्ते को....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंहे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे
जवाब देंहटाएंनई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
पथ परिवर्तन नारी ही नहीं नर भी करेगा और कर रहे हैं. पुरानी रस्में धीरे धीरे सब मिट रही हैं.
शुक्रिया.
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!
जवाब देंहटाएंनई डगर पे अपना जीवन मोड़ दे!!
...........बेहतरीन रचना !!