छोडो अपनी ढाई चाल बहुत हुआ
खून में आया उबाल बहुत हुआ
आम जनता की आवाज दबे नहीं
देश में लाये भूचाल बहुत हुआ
खींच लेगा आज वक़्त ये कुर्सियां
कर चुके जितना धमाल बहुत हुआ
अब सियासी हंडिया ये उतार दो
पक चुकी जितनी ये दाल बहुत हुआ
दोगुला अब तो चलन ये चले नहीं
बेहयाई का कमाल बहुत हुआ
क़र्ज़ में अब देश खूब डुबा चुके
आज रूपये का ये हाल बहुत हुआ
देश की जनता है जाग उठी अभी
नोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ
बहुत तो हो गया .... लेकिन जो भी कुर्सी पर बैठेगा वो ही कमाल धमाल कर अपनी जेब भरेगा ... बढ़िया गज़ल.... काश यह चेतावनी सच हो ।
जवाब देंहटाएंदेश की जनता है जाग उठी अभी
जवाब देंहटाएंनोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ...बहोत सही...ऐसा ही होना भी चाहिए
देश की जनता है जाग उठी अभी
जवाब देंहटाएंनोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ...बहोत सही...ऐसा ही होना भी चाहिए
बहुत ख़ूब
जवाब देंहटाएंवाह वाह !बहुत सुंदर गजल ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : समझ में आया बापू .
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंHow to change blogger template
बेह्तरीन अभिव्यक्ति …!!गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें।
सादर मदन
वाह क्या बात!
जवाब देंहटाएंवाह, यह उत्साह जाग जाये।
जवाब देंहटाएंवाह...बहुत खूब लिखा
जवाब देंहटाएंदेश की जनता है जाग उठी अभी
जवाब देंहटाएंनोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ ---बेह्तरीन अभिव्यक्ति!
latest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)
क़र्ज़ में अब देश खूब डुबा चुके
जवाब देंहटाएंआज रूपये का ये हाल बहुत हुआ
देश की जनता है जाग उठी अभी
नोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ
सच में बहुत हुआ । बेहद भाई ये प्रस्तुति।
देश की जनता है जाग उठी अभी
जवाब देंहटाएंनोंच लेगी बाल खाल बहुत हुआ
....बेहतरीन प्रस्तुति।