साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
अवगुंठित
भाव होकर अधीर
गीतों में नित भरते हैं पीर
विरह कंटक चुभ हिय घाव करें
अँखियाँ निज पीर करें उजागर
साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
सिसकती गलियाँ पनघट रोता
नीर जमुना के नयन भिगोता ,
चित्त मरीचिका में उलझाये
छल और बल से नटवर नागर
साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
संत्रस्त विमूढ़ कुंदन किसलय
तज कदम्ब डार धूलि में विलय
कर कुंठित कर्ण भरमाय रहा
मुरलिया राग तिलस्मी आगर
साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
जवाब देंहटाएंनदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
..बहुत सुन्दर सुगढ़ गीत ..
सिसकती गलियाँ पनघट रोता
जवाब देंहटाएंनीर जमुना के नयन भिगोता ,
हिय मरीचिका में उलझाये
छल बल से ऐ नटवर नागर
साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
bahut sundar !
bahut sundar.. pyari rachna..
जवाब देंहटाएंछल बल से ऐ नटवर नागर
जवाब देंहटाएंसाथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर,,,
बहुत उम्दा,लाजबाब पंक्तियाँ,
Recent post: ओ प्यारी लली,
मन घट भरता प्रेम का पानी,
जवाब देंहटाएंशेष रही है रिक्त कहानी।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-06-2013) के चर्चा मंच 1263 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
जवाब देंहटाएंनदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
सिसकती गलियाँ पनघट रोता
नीर जमुना के नयन भिगोता ,
हिय मरीचिका में उलझाये
छल बल से ऐ नटवर नागर
जवाब देंहटाएंसाथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर-----
बहुत सुंदर रचना
सादर
आग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसाथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती है मन की गागर
जवाब देंहटाएंनदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर..ati sundar ...
बहुत सुदर रचना,
जवाब देंहटाएंक्या कहने
नोट : आमतौर पर मैं अपने लेख पढ़ने के लिए आग्रह नहीं करता हूं, लेकिन आज इसलिए कर रहा हूं, ये बात आपको जाननी चाहिए। मेरे दूसरे ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए । धोनी पर क्यों खामोश है मीडिया !
लिंक: http://tvstationlive.blogspot.in/2013/06/blog-post.html?showComment=1370150129478#c4868065043474768765
मन की गागर की सुन्दर अभिव्यक्ति राजेश जी .... बधाई ....
जवाब देंहटाएंसिसकती गलियाँ पनघट रोता
जवाब देंहटाएंनीर जमुना के नयन भिगोता ,
चित्त मरीचिका में उलझाये
छल और बल से नटवर नागर ..
विरह के रंग में रची बसी ... लाजवाब पंक्तियाँ हैं ...
नदिया की तृष्णा हरे कैसे लवणित बूँद -बूँद सागर
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, शब्द संयोजन और उनका सौन्दर्य पूर्ण प्रयोग कविता की सुन्दरता को चार चाँद लगा देता है. बहुत खूब.
"साथी रे बिन प्रीत तुम्हारी रीती मन की गागर" . वाह! अति सुन्दर और मन को छू जानेवाली रचना के लिए बधाई।
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