(पिक्चर गूगल से साभार)
बेवड़े
के हाथ में अब ज़ाम
है
झिलमिलाई नालियों की शाम है
होश में तो रास्ता मैं रोकती
सामने अब हर जतन नाकाम है
मान जायेगा सुना था प्यार से
छूट देने का यही अंजाम है
नालियों में लेट कर वो सोचता
अब यहाँ आराम ही आराम है
भाग आई छोड़ कर माँ बाप को
बद गुमानी का यही ईनाम है
प्यार का है ये नशा कह्ता मुझे
ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है
बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ब
ड़ा
बाद में निकला अदद हज्ज़ाम
है
ज़िन्दगी अब 'राज' ये कैसे कटे
रोज़ पीने पर छिड़े संग्राम है
बेहद खूब सूरत ,बेहद खूब सूरत ,बेहद खूब सूरत गजल के अलफ़ाज़ हैं ,अर्थ और भाव हैं ,बिम्ब हैं कुछ रिन्दों के ......परिंदों के .......ये नशा प्रजा तंत्र के "हाथ "
जवाब देंहटाएंहै .नरेगा की सौगातें हैं .
झूम के जब रिन्दों ने पिला दी ,
शेख ने झुक के दिल से दुआ दी .
नालियों में लेट कर वो सोचता
जवाब देंहटाएंअब यहाँ आराम ही आराम है
यह कभी नहीं सुधरेंगे यह बेचारे हैं :)
ha ha ha -
जवाब देंहटाएंGAJAB
Shubhkamnayen AAdareyaa
gajab likhaa hai...
जवाब देंहटाएंप्यार का है ये नशा कह्ता मुझे
जवाब देंहटाएंये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है
बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ब ड़ा
बाद में निकला अदद हज्ज़ाम है
बहुत खूब
latest post होली
हाथ में हो जब बोतल तो
जवाब देंहटाएंअंजाम का क्या काम है।
बढ़िया हज़ल।
हाहाहा बेहद हस्याद्पद ग़ज़ल | बधाई
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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behatareen gazal, zindgi ki hakikat pr karara vyang,"subah se sam tak vo sura me mst hai,kah raha hai aaj kal vah bahut hi vyast hai"(Aziz..) मान जायेगा सुना था प्यार से
जवाब देंहटाएंछूट देने का यही अंजाम है
नालियों में लेट कर वो सोचता
अब यहाँ आराम ही आराम है
भाग आई छोड़ कर माँ बाप को
बद गुमानी का यही ईनाम है
हा हा, बहुत सुन्दर..सच ही कह रही हैं..
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल राजेश जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही तस्वीर खींची है ...बढ़िया ..!!!
जवाब देंहटाएंवाह.... बेहतरीन ग़ज़ल है।
जवाब देंहटाएंमैने पी थोडे ही है (पीने वाला
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंनालियों में लेट कर वो सोचता
जवाब देंहटाएंअब यहाँ आराम ही आराम है ...
बहुत ही लाजवाब गज़ल है ... हर शेर हास्य से भरपूर ...
पीने वालों को सोचना पड़ेगा अब ...
hahaha ,वाह दीदी ,यथार्थ को बताती हास्य रचना ,मजा आ गया
जवाब देंहटाएंhttp://www.saadarblogaste.in/2013/03/15.html
वाह! बहुत सुन्दर और रोचक...
जवाब देंहटाएंअच्छा है नाली में ही पड़े होते हैं ये, सड़क पर पसर गए तो... बहुत कमाल की रचना, बहुत मजेदार. शुभकामनाएँ.
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