(दो कुण्डलियाँ एक दोहा)
(1)
नारी अब अबला नहीं ,ना समझो कमजोर
सहती थी जब जुर्म ये ,चला गया वो दौर
चला गया वो दौर ,शबनम बनी है शोला
समझ न इसको फूल ,है बारूद का गोला
कामी, नीच , निकृष्ट, अधम पापी व्यभिचारी
कर देगी सब नष्ट , आज ये सबला नारी
(2)
फाँसी ही बस चाहिए ,दंड नहीं कुछ और
इन फंदो में गर्दने ,खींचों दूजा छोर
खींचो दूजा छोर ,मिटे ये बलात्कारी
नहीं सहेंगे और ,जान ले दुनिया सारी
ले कर में तलवार ,चली अब रानी झांसी
स्वयं करेगी न्याय ,अधम को देगी फांसी
(दोहा)
नारी से जीवन मिला,नारी से ही मान|
नारी से पैदा हुआ,कर उसका सम्मान||
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जवाब देंहटाएंनारी से जीवन मिला,नारी से ही मान|
नारी से पैदा हुआ,कर उसका सम्मान||
बेहद सार्थक व सशक्त .. प्रस्तुति
आभार
नमन नमन नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरेया--
शुभकामनायें-
सादर
नारी से जीवन मिला,नारी से ही मान,
जवाब देंहटाएंनारी से पैदा हुआ,कर उसका सम्मान..
बेहद सार्थक,सशक्त व सुन्दर .. प्रस्तुति
वाह दीदी शत शत नमन
जवाब देंहटाएंगुज़ारिश : ''महिला दिवस पर एक गुज़ारिश ''
बहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंनारी दिवस पर प्रेरक शानदार कुण्डलियाँ ,,,
जवाब देंहटाएंRecent post: रंग गुलाल है यारो,
बहुत ही सुंदर एवं सार्थक प्रस्तुति, काश यह अंतिम पंक्तियों का दोहा सारी दुनिया को समझ आजाये ...
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप ,अधिकार माँगने से नहीं मिलता -वसूल करना पड़ता है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुतीकरण.
जवाब देंहटाएंसबको झझकोर दिया..
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक विचार
जवाब देंहटाएंlatest postमहाशिव रात्रि
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बहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त रचना..नारी दिवस की शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति . खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,
जवाब देंहटाएंसार्थक कुण्डलियाँ ... नारी का सामान ओर उसका मान अगर नहीं हुवा .. तो वो काली भी बन सकती है ....
जवाब देंहटाएंनारी से जीवन मिला,नारी से ही मान|
जवाब देंहटाएंनारी से पैदा हुआ,कर उसका सम्मान||
..सार्थक प्रस्तुति ..