यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 4 मार्च 2013

(हास्य ग़ज़ल )ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है


(पिक्चर गूगल से साभार)
बेवड़े  के हाथ में अब ज़ाम   है
झिलमिलाई नालियों की शाम है

होश में तो रास्ता मैं रोकती
सामने अब हर जतन नाकाम है

मान जायेगा सुना था प्यार से
छूट देने का यही अंजाम है

नालियों में लेट कर वो सोचता
अब यहाँ आराम ही आराम है

भाग आई छोड़ कर माँ बाप को
बद गुमानी का यही ईनाम है

प्यार का है ये नशा कह्ता मुझे
ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है

बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ड़ा
बाद में निकला अदद हज्ज़ाम  है

ज़िन्दगी अब 'राज' ये कैसे कटे
रोज़ पीने पर छिड़े संग्राम है

18 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद खूब सूरत ,बेहद खूब सूरत ,बेहद खूब सूरत गजल के अलफ़ाज़ हैं ,अर्थ और भाव हैं ,बिम्ब हैं कुछ रिन्दों के ......परिंदों के .......ये नशा प्रजा तंत्र के "हाथ "


    है .नरेगा की सौगातें हैं .


    झूम के जब रिन्दों ने पिला दी ,

    शेख ने झुक के दिल से दुआ दी .

    जवाब देंहटाएं
  2. नालियों में लेट कर वो सोचता
    अब यहाँ आराम ही आराम है
    यह कभी नहीं सुधरेंगे यह बेचारे हैं :)

    जवाब देंहटाएं
  3. प्यार का है ये नशा कह्ता मुझे
    ये सुरा तो बेवज़ह बदनाम है

    बोलता था डॉक्टर हूँ मैं ब ड़ा
    बाद में निकला अदद हज्ज़ाम है
    बहुत खूब
    latest post होली

    जवाब देंहटाएं
  4. हाथ में हो जब बोतल तो
    अंजाम का क्या काम है।

    बढ़िया हज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  5. हाहाहा बेहद हस्याद्पद ग़ज़ल | बधाई


    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

    जवाब देंहटाएं
  6. behatareen gazal, zindgi ki hakikat pr karara vyang,"subah se sam tak vo sura me mst hai,kah raha hai aaj kal vah bahut hi vyast hai"(Aziz..) मान जायेगा सुना था प्यार से
    छूट देने का यही अंजाम है

    नालियों में लेट कर वो सोचता
    अब यहाँ आराम ही आराम है

    भाग आई छोड़ कर माँ बाप को
    बद गुमानी का यही ईनाम है

    जवाब देंहटाएं
  7. हा हा, बहुत सुन्दर..सच ही कह रही हैं..

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सही तस्वीर खींची है ...बढ़िया ..!!!

    जवाब देंहटाएं
  9. मैने पी थोडे ही है (पीने वाला

    जवाब देंहटाएं
  10. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  11. नालियों में लेट कर वो सोचता
    अब यहाँ आराम ही आराम है ...

    बहुत ही लाजवाब गज़ल है ... हर शेर हास्य से भरपूर ...
    पीने वालों को सोचना पड़ेगा अब ...

    जवाब देंहटाएं
  12. hahaha ,वाह दीदी ,यथार्थ को बताती हास्य रचना ,मजा आ गया

    http://www.saadarblogaste.in/2013/03/15.html

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छा है नाली में ही पड़े होते हैं ये, सड़क पर पसर गए तो... बहुत कमाल की रचना, बहुत मजेदार. शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं