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मंगलवार, 13 मार्च 2012

तुम्हारी प्रेरणा



उपलब्धियों के मंच पर 
जब भी  कोई तुमसे पूछता कि 
तुम्हारी सफलता के पीछे किसका हाथ है 
तुम हमेशा मुझको अपनी ताकत 
बताते रहे |और उसके बाद
करतल ध्वनी 
की गूंजती आवाज से 
मेरा वो प्रेम का एहसास 
और बुलंद और गर्वित होता चला गया|
याद आया है वो हमारे मिलन का पहला दिन 
जब तुमने मेरे हाथ को थामते हुए कहा था 
कि मेरे अस्तित्व को आज पंख 
मिल गए |
और उसके बाद हम स्वछन्द 
परिंदों कि तरह उन्मुक्त गगन में 
साथ- साथ उड़ते हुए ना जाने कितनी 
नीचाइयों और ऊँचाइयों को छूते हुए
 बहुत दूर निकल गए |
शनै- शनै तुम्हारे पंख 
मेरे पंखों का सहारा लेने लगे 
मेरी चेतना तब धरातल पर लौटी 
जब मैंने महसूस किया कि 
मेरी अनुपस्थिति में तुम्हारी उड़ान 
में वो आत्मविश्वास नहीं रहा 
 तुम मुझ पर आश्रित होने लगे
यह मैंने कभी नहीं सोचा था 
जिस प्यार को मैं तुम्हारी ताकत
समझ रही थी 
वो ही तुम्हे कमजोर कर देगा 
तुम तो टूट ही जाओगे मेरे बिना 
आज इतिहास में लिखी 
हाडा रानी के मन कि दुविधा 
और दूरदर्शिता समझ में आ रही है 
जिसने प्यार के वशीभूत हुए 
राजा राव रतन सिंह को 
युद्द  में  जाते हुए कोई 
प्यार कि भेंट  मांगने पर 
अपने शीश को थाली में 
सजा कर भेज दिया था ,
क्यूंकि वो अपने प्यार को 
अपने पति कि पराजय का कारण नहीं 
बनाना चाहती थी |
कितना मुश्किल हुआ होगा 
उसके लिए ये फेंसला लेना |
किसी को प्यार  और सहारा इतना भी मत दो
 कि वो अपना आत्मविश्वास ही खो दे| 
जीवन भी एक जंग ही है 
और मैं भी नहीं चाहती कि 
तुम इस जंग में मेरे ही कारण 
टूट जाओ |
फिर से दूर क्षितिज तक 
विस्तृत गगन में मेरे बिना उड़ान भरो 
मैं अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा तुम्हारे साथ हूँ 
अब मैं तुम्हारी प्रेरणा बनना चाहती हूँ 
कमजोरी नहीं |
क्यूँ  कि  कल का क्या पता 
मैं रहूँ या ना रहूँ |

22 टिप्‍पणियां:

  1. किसी को प्यार और सहारा इतना भी मत दो
    कि वो अपना आत्मविश्वास ही खो दे|

    कितना ज्ञान और अनुभव झलक रहा है आपकी रचना में ....
    बहुत ही सुंदर और सार्थक ...रचना ...बहुत अच्छी लगी राजेश जी ..

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  2. kya kahun shabd hi nahin mil rahe haen.dil ko chhu gai.aabhar.

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  3. आदरणीय राजेश जी
    नमस्कार !
    ......निःशब्द कर दिया इस रचना ने
    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ !

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  4. साथ है आकाश में भी,
    लय बसी हर में थी।

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  5. वाह!!!!!

    सच कहा........प्यार सहारा देकर कभी पंगु भी बना देता है...
    लाजवाब रचना राजेश जी..
    सादर.

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  6. तुन जहां जहां चलेगा ...मेरा साया भी साथ होगा .... बहुत सुन्दर सोच ...

    जवाब देंहटाएं
  7. मैं अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा तुम्हारे साथ हूँ
    अब मैं तुम्हारी प्रेरणा बनना चाहती हूँ
    कमजोरी नहीं |
    क्यूँ कि कल का क्या पता
    मैं रहूँ या ना रहूँ |

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

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  8. बहुत सुंदर और गहरे भाव !

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  9. बहुत सुन्दर सन्देश ...वाकई प्रेम ताक़त होना चाहिए कमजोरी नहीं .....आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ

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  10. सच कहा है ... पर इतने सालों साथ रहने के बाद एक दूजे पे आश्रित होने के बाद क्या ये सब संभव हो पाता है ...
    गहरी बात कही है इस माध्यम से आपने ..

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  11. बहुत गहरी बात कह दी... सुन्दर सन्देश

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  12. बहुत ही उम्दा रचना है ,जितना पढ़ती गयी बस डूबती सी गयी इस में ,कितने गहरे विचार,और कितना सरल तरीका लिखने का,मैं तो आप की कायल हो गयी,आप को खूब खूब बधाई......

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  13. बहुत ही उम्दा रचना ,इसे पढने के बाद तो तारीफ के कोई शब्द ही नहीं मिल रहे सिर्फ वाह! वाह! ही कहा जा सकता है

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  14. इतनी गहन अभिव्यक्ति के लिए आश्चर्य चकित हूँ ...
    शुभकामनायें आपको !

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  15. निःशब्द उथलपुथल लिए , नमी के साथ एहसासों की गलियों से गुजरती गई

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  16. आप ब्लॉग पर आई बहुत ख़ुशी हुई,अपना स्नेह ऐसे ही बनाये रखे :)

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  17. अब मैं तुम्हारी प्रेरणा बनना चाहती हूँ
    कमजोरी नहीं |
    क्यूँ कि कल का क्या पता
    मैं रहूँ या ना रहूँ |......waah bahut khoob . sunder likha aapne , aur pyar ko bhi takat me badal diya . badhai swikaren

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  18. यह "सखि,वे मुझसे कहकर जाते" का आधुनिक रूप है।

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