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शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

मुहब्बत का सबब


अरमान घुट रहे हैं यूँ दर्दे अज़ाब में 
ढूंढे कहाँ सुकूने दिल फरेबी सराब में

वो ले गया नींदे भी मेरी देखो लूट कर 
कैसे यकीं हो अब वो आएगा ख़्वाब में

शाखों से फूल तोड़ कर राहों में फेंक दो 
यूँ छोड़ दी कश्ती मेरी उसने सैलाब में 

रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें 
वो चाँद भी जा बैठा है देखो हिज़ाब में 

मौसम तो बदलता है मेरा उसके ही आने से 
अब ख़ाक भी शौखी बची रूहे शबाब में 

ना नज्म ना मौसिक़ी ना ग़ज़ल अब कोई 
जब बरखे ही दफ़न हो गए दिल की किताब में 

आगोश तसव्वुर में ही जाओ एक बार 
कुछ फर्क ना होगा तेरे हिज्रे हिसाब में 

कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल 
मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में 

ये होगा मुहब्बत का सबब  इब्तदा से जानती 
क्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में .


22 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..

    वाह!!!

    बहुत खूब!!!!

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  2. बहुत ही बेहतरीन लिखा है
    हर एक पंक्ति खुबसूरत,गहन जजबात लिए है ...
    बहुत ही बढ़िया ..

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  3. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..................................

    बहुत खूब,सुंदर रचना गहन जजबात लिए है.

    जवाब देंहटाएं
  4. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में

    बहुत खूब...

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  5. waah behatarin gajal ........bahut umda ...kya baat hai .....:):):):)


    वो ले गया नींदे भी मेरी देखो लूट कर
    कैसे यकीं हो अब वो आएगा ख़्वाब में...........best post i have ever seen rajesh kumari ji . lovely ..fan of this writing . :):)

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  6. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में

    बहुत सुंदर...

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  7. वाह! बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......

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  8. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में
    बहुत सुन्दर गज़ल

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  9. ना नज्म ना मौसिक़ी ना ग़ज़ल अब कोई
    जब बरखे ही दफ़न हो गए दिल की किताब में

    आगोश ए तसव्वुर में ही आ जाओ एक बार
    कुछ फर्क ना होगा तेरे हिज्रे हिसाब में


    गजल का हर शेर ....अपने आप में खूब सूरत जज्बात की एक किताब की तरह लगा | क्या तारीफ करूँ राजेश जी ......बिलकुल दिल को छू गयी है ये गजल | यूँ ही ये कलम युगों युगों तक अपनी रोशनी को बरक़रार रखे ....बस यही दुआ मागता हूँ |

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  10. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..

    Great expression ...waah ..

    .

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  11. मौसम तो बदलता है मेरा उसके ही आने से
    अब ख़ाक भी शौखी न बची रूहे शबाब में

    खूबसूरत गजल ...

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  12. ख्वाबों के लुटेरे वापस ख्वाब में नहीं आया करते। बेहतरीन रचना।

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  13. ये होगा मुहब्बत का सबब इब्तदा से जानती
    क्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में .

    मजबूरियां कुछ इधर भी हैं कुछ उधर भी...

    बहुत सुंदर प्रस्तुति. महाशिवरात्रि के पर्व पर मंगलकामनाएँ.

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  14. रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें
    वो चाँद भी जा बैठा है देखो हिजाब में

    बहुत बढि़या।
    अच्छी ग़ज़ल।

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  15. कैसे लिखूं अब ख़त कोई पूछता है दिल
    मैं जानती हूँ जो वो लिखेगा जबाब में ..

    बहुत खूब ... क्या लाजवाब शेर है ... बेहद उम्दा ...

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  16. रोशन नहीं होती अब सितारों की महफिलें
    वो चाँद भी जा बैठा है देखो हिज़ाब में
    गज़ल का हर अश'आर दिल को छू गया, वाह !!!!!!!!!!

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  17. ये होगा मुहब्बत का सबब इब्तदा से जानती
    क्यूँ राज ढूँढती वफ़ा इस जहाने खराब में ... kya baat hai

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