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रविवार, 13 जून 2010

रिक्त नयन

Whenever I see any blind person my heart feels pity and  start ampathising.what is without eyes..black...black...black.....these thoughts made me feel to recite some thing...here it is.......
रिक्त नयन
तेरी लहरों में कलश डुबाया था हमने
नयनों में भर आये अश्क अधिक हैं
                       या सागर में मोती कम हैं !
तेरी बगिया से पुष्प चुनने चले थे हम
आँचल में भर आये शूल अधिक हैं
                      या बगिया में पुष्प कम हैं !
तेरे दर पे सजदे किये थे हमने
अंजलि में भर आये गम अधिक हैं
                      या जहाँ में खुशियाँ कम हैं !
या रब तुझसे कुछ उज्जाले मांगे थे हमने 
पर हमको मिले ये रिक्त (द्रष्टि विहीन )नयन हैं
                      या तेरे लोक में रंगत कम है !
क्या निद्रा क्या स्वप्न यहाँ में क्या जानूं
भोर नारंगी शाम श्यामवर्ण में क्या जानूं
                 ये  हमारे नसीब की परछाई है या खुद हम हैं!! 

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