बाँहों में बाहें थाम प्रिये हम कितनी दूर निकल आये
ना अब कुंठाओं के घेरे हैं ना मायुसिओं के साए
मैं पदचाप सुनु तेरी तू पदचाप सुने मेरी
अधर मगर चुपचाप रहें बोले धड़कन तेरी मेरी
ये पल कितना रमणीय है चल इसके आगोश में जाएँ
बाँहों में बाहें .......
देखो क्या मंजर है प्रिये नभ धरा का मस्तक चूम रहा
तिलस्मी हो गयी दिशाए नशे में तरण तरण झूम रहा
रजनी हौले से आ रही तारों भरा आँचल फेलाए
बाँहों में बाहें ......
अपनी बगिया के फूल क्यूँ कुम्हलाने लगे हैं
घनघोर संमोहन के बादल क्यूँ छाने लगे हैं
आ दोनों मिलकर आँखों से उनके लिए सावन बरसायें
बांहों में बाहें .......
उनकी नजरें कुछ पूछ रही है हमको तारों में खोज रही हैं
स्वप्न बनकर आ हम दोनों उनकी निद्रा में बस जाएँ
बाहों में बाहें .......
अब तो अपने साए भी लौट गए हैं
जीवन के बंधन खोल गए हैं
चल हाथ पकड़ मेरा प्रिये अब हम अपने पथ पर बढ़ जाएँ
मैं पदचाप सुनु तेरी तू पदचाप सुने मेरी
बाहों में बाहें थाम प्रिये हम कितनी दूर निकल आये !
ना अब कुंठाओं के घेरे हैं ना मायुसिओं के साए
मैं पदचाप सुनु तेरी तू पदचाप सुने मेरी
अधर मगर चुपचाप रहें बोले धड़कन तेरी मेरी
ये पल कितना रमणीय है चल इसके आगोश में जाएँ
बाँहों में बाहें .......
देखो क्या मंजर है प्रिये नभ धरा का मस्तक चूम रहा
तिलस्मी हो गयी दिशाए नशे में तरण तरण झूम रहा
रजनी हौले से आ रही तारों भरा आँचल फेलाए
बाँहों में बाहें ......
अपनी बगिया के फूल क्यूँ कुम्हलाने लगे हैं
घनघोर संमोहन के बादल क्यूँ छाने लगे हैं
आ दोनों मिलकर आँखों से उनके लिए सावन बरसायें
बांहों में बाहें .......
उनकी नजरें कुछ पूछ रही है हमको तारों में खोज रही हैं
स्वप्न बनकर आ हम दोनों उनकी निद्रा में बस जाएँ
बाहों में बाहें .......
अब तो अपने साए भी लौट गए हैं
जीवन के बंधन खोल गए हैं
चल हाथ पकड़ मेरा प्रिये अब हम अपने पथ पर बढ़ जाएँ
मैं पदचाप सुनु तेरी तू पदचाप सुने मेरी
बाहों में बाहें थाम प्रिये हम कितनी दूर निकल आये !
kitni achuk or prem bhari bhawana hai apni prremika ke liye
जवाब देंहटाएंkitni achuk or prem bhari bhawana hai apni prremika ke liye
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