Vo suraj ki agan se bhookh mitata hai
Whenever I serve my garden with full dedication ,it comes up as per my expectations.It blooms,it smiles.it spred it's fragrance every where.I become happy,seeing the result,reward of my effort.I irrigate plants in the morning because i can;t tolerate scorching sun,let it be my weakness.Then I think about those farmers,who work hard ,not bother about scorching heat or thunder,downpour.ect.these thoughts compell me to write some thing about them.....dedicating to farmers.
वो सूरज की अगन से भूक मिटाता है
वो अनुविग्न चन्द्र की शीतलता से प्यास बुझाता है
रक्त नलिकाएं बदन में मैराथन करती हैं
वो पसीने की नदिया बहाता है !
वो माट्टी से यारी रखता है
धरा की मांग बीजों से भरता है
उसके नयन शब्द भेदी बाण हैं
जिनसे मेघ विच्छेदन करता है !
वो पाताल से अमृत घट लाता है
माटी की प्यास बुझाता है ,
फसल उसकी संतान है
वो बंजर धरा को मातृत्व का सुख दिलवाता है !
वो रोटी का टुकड़ा जन जन के मुख तक पहुँचाता है
वो अद्वित्य मानव है ,वो कर्मवीर है !
वो श्रधेय कृषक है वो श्रधेय कृषक है !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें