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सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

न्यारी जिंदगी


एक अलग सी ग़ज़ल जो कुछ वर्ष पहले कारगिल जंग के वक़्त लिखी थी)
                            
गर राह में मुझको ये बमबारी मिली तो क्या हुआ
बारूद से ल़बरेज चिंगारी मिली तो क्या हुआ

यूँ दर्द की बदरी मेरी आँखों में उमड़ी थी बहुत
पलकें झपकने की  फिर बारी मिली तो क्या हुआ

देखे हजारों पिंड बिखरे थे वहाँ  खूं से भरे
बस   इक नहीं  गर्दन मेरी सारी मिली तो क्या हुआ

कुर्बानियाँ दे जीत के पंचम वहाँ लहरा दिए
गर जिंदगी पर मौत यूँ न्यारी  मिली तो क्या हुआ

लिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
माँ की  वो  छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ
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13 टिप्‍पणियां:

  1. कुर्बानियाँ दे जीत के पंचम वहाँ लहरा दिए
    गर जिंदगी पर मौत यूँ न्यारी मिली तो
    ..देशप्रेम जगाती सुन्दर गजल

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  2. लिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
    माँ की न वो छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ,,,

    वाह ! बहुत सुंदर गजल .!
    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-

    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  3. कारगिल वार में देश ने बहुत कुछ खोया .....|आँखे नम हों जाती हैं |

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  4. सुन्दर प्रस्तुति-
    मंगल-कामनाएं आदरणीया-

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  5. बहुत ही सुन्दर..वाह कहूँ या आह ?

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  6. लिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
    माँ की न वो छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ ..

    वाह ... लाजवाब ओर देश प्रेम की भावना लिए कमाल का शेर है ...

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  7. पलकें झपकने की न फिर बारी मिली तो क्या हुआ...बहुत बढ़ि‍या गज़ल

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