एक अलग सी ग़ज़ल जो कुछ वर्ष पहले कारगिल जंग के वक़्त लिखी थी)
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गर राह में मुझको ये बमबारी मिली तो क्या हुआ
बारूद से ल़बरेज चिंगारी मिली तो क्या हुआ
यूँ दर्द की बदरी मेरी आँखों में उमड़ी थी बहुत
पलकें झपकने की न फिर बारी मिली तो क्या हुआ
देखे हजारों पिंड बिखरे थे वहाँ खूं से भरे
बस इक नहीं गर्दन मेरी सारी मिली तो क्या हुआ
कुर्बानियाँ दे जीत के पंचम वहाँ लहरा दिए
गर जिंदगी पर मौत यूँ न्यारी मिली तो क्या हुआ
लिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
माँ की न वो छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ
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ओजपूर्ण रचना | बढ़िया |
जवाब देंहटाएंकुर्बानियाँ दे जीत के पंचम वहाँ लहरा दिए
जवाब देंहटाएंगर जिंदगी पर मौत यूँ न्यारी मिली तो
..देशप्रेम जगाती सुन्दर गजल
लिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
जवाब देंहटाएंमाँ की न वो छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ,,,
वाह ! बहुत सुंदर गजल .!
नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
कारगिल वार में देश ने बहुत कुछ खोया .....|आँखे नम हों जाती हैं |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंमंगल-कामनाएं आदरणीया-
waah sakhi sundar gajal badhai aapko
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर..वाह कहूँ या आह ?
जवाब देंहटाएंलिपटा लिया देखो तिरंगे ने बहुत कस के मुझे
जवाब देंहटाएंमाँ की न वो छाती मुझे प्यारी मिली तो क्या हुआ ..
वाह ... लाजवाब ओर देश प्रेम की भावना लिए कमाल का शेर है ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंवाह वाह !!!प्रभावित करती सुंदर गजल ..!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
पलकें झपकने की न फिर बारी मिली तो क्या हुआ...बहुत बढ़िया गज़ल
जवाब देंहटाएंदमदार रचना
जवाब देंहटाएंdil ko chhuti bhavbheeni rachna
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen