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रविवार, 27 जनवरी 2013

कर्म किये जा (छंद त्रिभंगी)


(1)निश्शंक  जिए जा कर्म किये जा , ,फल की मत कर ,अभिलाषा 
भगवन सब जाने ,सब पहचाने , कृपा करेंगे   ,रख आशा 
कर मनन निरंतर ,हिय अभ्यंतर,तन मन सुख की ,परिभाषा
पर लोभ  बुरा हैक्षोभ  बुरा है,   पर मन  जीते   ,  मृदु  भाषा 

(2)शिव हरि  नाम भजो ,मद बिषय तजो ,जितेंद्रिय नाम,सुख पाओ 
भज  दुर्गे अम्बामाँ जगदम्बा ,मातु रूप  नौ  ,   तुम  ध्याओ 
हृदय से  सम्मान, शक्ति  सा मान , कर नारी  kaको  , दिख लाओ   
देवों   का प्यारा  ,मात्र   दुलारा  , जन   संस्कारी    ,हो जाओ  

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10 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया छंद -
    बढ़िया प्रस्तुति ||
    शुभकामनायें आदरेया ||

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  2. प्यारी भाषा, प्यारा व्यवहार..सबको प्रिय होता है..

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  3. बहुत सुंदर संदेश देते त्रिभंग..

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  4. वाह ,बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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