(1)निश्शंक जिए जा , कर्म किये जा , ,फल की मत कर ,अभिलाषा
भगवन सब जाने ,सब पहचाने , कृपा करेंगे ,रख आशा
कर मनन निरंतर ,हिय अभ्यंतर,तन मन सुख की ,परिभाषा
पर लोभ बुरा है , क्षोभ बुरा है, पर मन जीते , मृदु भाषा
(2)शिव हरि नाम भजो ,मद बिषय तजो ,जितेंद्रिय नाम,सुख पाओ
भज दुर्गे अम्बा , माँ जगदम्बा ,मातु रूप नौ , तुम ध्याओ
हृदय से सम्मान, शक्ति सा मान , कर नारी kaको , दिख लाओ
देवों का प्यारा ,मात्र दुलारा , जन संस्कारी ,हो जाओ
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बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबढ़िया छंद -
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ||
शुभकामनायें आदरेया ||
प्यारी भाषा, प्यारा व्यवहार..सबको प्रिय होता है..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेश देते त्रिभंग..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर-सार्थक रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक छंद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक छंद।
जवाब देंहटाएंNew post तुम ही हो दामिनी।
सुंदर रचना!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंवाह ,बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
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