धरती पर यह स्वर्ग शीत ऋतु में कैसा लगता है बरसों से यह देखने की इच्छा थी ,भारत के अलग अलग हिस्सों में बिखरा हुआ परिवार कभी कभी ही एक साथ मिलता है अतः इस वर्ष नए साल का उत्सव सब एक साथ कश्मीर में मनाएंगे और स्नोफाल का मजा भी लेंगे यह तीन महीने पहले से निश्चित हो गया था 30 दिसंबर की फ्लाईट टिकिट पहले से ही बुक कर रखी थी ,इस डेट से दो तीन दिन पहले ही बहुत भारी स्नोफाल हुई अतः फ्लाईट जा पाएगी पहले से ही डाउट था किन्तु उस दिन मौसम बहुत अच्छा हो गया एयर पोर्ट की बर्फ तो साथ साथ हटाते रहते हैं ,हमने पहले तो ऊपर से ही चांदी की तरह चमकते हुए पहाड़ों को देखा जो बड़ा मनमोहक नजारा था ,सूरज निकला हुआ था उसकी रौशनी में बर्फीले पहाड़ देखते ही बनते थे ।मेरा साढ़े तीन साल का पोता देख कर खूब चहक रहा था| एयर पोर्ट पर पहुंचे तो सुना वहां का तापमान माइनस 7 डिग्री सेल्सियस था जिसके लिए हम पहले से ही मेंटली प्रीपेयर थे ,बिटिया और बच्चे एयरपोर्ट पर लेने आ गए थे जल्दी जल्दी गाड़ियों में बैठे और मंजिल की और रवाना हुए । रास्ते में लग रहा था कुछ वक़्त पहले ही सड़क से बर्फ हटाई गई सड़क के दोनों किनारों पर करीब तीन चार फीट की बर्फ के ढेर लगे थे कहीं कहीं तो उससे भी बड़े रास्ते में एक जगह रूककर गर्म- गर्म चाय का मजा लिया ।एक ख़ास बात ये थी की सड़क के दोनों किनारों वाले वृक्षों के सभी पत्ते झड चुके थे अतः इस मौसम में अधिकतर वृक्ष वस्त्रविहीन थे शायद सफ़ेद लिबास जो पहनने थे दूसरे मौसम से एक दम अलग नजारा ---देखिये एक तस्वीर ----
इतनी बर्फ जिन्दगी में पहली बार देखी थी विंडो से नजर हटाने का मन ही नहीं कर रहा था पर दोनों नातिन बहुत दिनों बाद मिली थी अतः उनके पास बातों का भंडार था जिसे बताने में दोनों लगी हुई थी करीब ढाई घंटे बाद हम अपनी मंजिल पर पहुच गए जाकर उस दिन रेस्ट करना था ताकि अगले दिन नव वर्ष की पार्टी एन्जॉय कर सकें ,मेरा पूरा परिवार एक साथ था देख कर और महसूस कर कितना अच्छा लग रहा था शब्दों में बयान नहीं कर सकती देखिये कुछ चित्र जब हम सब मिले ----
इतनी बर्फ जिन्दगी में पहली बार देखी थी विंडो से नजर हटाने का मन ही नहीं कर रहा था पर दोनों नातिन बहुत दिनों बाद मिली थी अतः उनके पास बातों का भंडार था जिसे बताने में दोनों लगी हुई थी करीब ढाई घंटे बाद हम अपनी मंजिल पर पहुच गए जाकर उस दिन रेस्ट करना था ताकि अगले दिन नव वर्ष की पार्टी एन्जॉय कर सकें ,मेरा पूरा परिवार एक साथ था देख कर और महसूस कर कितना अच्छा लग रहा था शब्दों में बयान नहीं कर सकती देखिये कुछ चित्र जब हम सब मिले ----
यह चित्र बड़ी नातिन महिका जो फरवरी में सात साल की होने वाली है,के द्वारा खींचा गया है
ठण्डी लगी तो भाग कर बिस्तर में घुस गए रूम में दो हीटर थे सो अच्छा लगा (बेटे बहु के साथ )
अगली सुबह पार्टी के लिए तरोताजा थे शाम तक खूब मिलकर बातें की बच्चों के साथ खेले झेलम नदी के किनारे घूमे और शाम को पार्टी का आनंद उठाया देखिये तस्वीर पार्टी की ---
अगले दिन स्नो में ट्रेकिंग का प्रोग्राम था पूछा गया किस किस में हिम्मत है तो सभी तैयार थे बच्चों के साथ वो भी छोटे छोटे बच्चे सात साल ,चार साल ,साढ़े तीन साल का इस लिए कुछ लोगों को साथ लिया जो बच्चों को उठा सकें ,पर उससे पहले बच्चों की ख़ुशी के लिए बेल फिशरी में मछलियाँ दिखाने ले गए ,ये फिशरी इंडियन आर्मी ने वहां के लोकल लोगों के व्यवसाय के लिए लगा कर दी है जिसके पोंड में विदेशों से मछलियाँ लाकर डाली हैं देखिये वहां की कुछ तस्वीरें ----
वहां भी बच्चों के खेलने के लिए कुछ प्लेन जगह में बर्फ मिली देखिये कितनी मस्ती कर रहे हैं
हाथ पैर सुन्न हो चुके थे पर बच्चे हटने का नाम नहीं ले रहे थे ,फिर चाय पानी का इंतजाम था सबने जाकर चाय और गरमागरम पकौड़े का आनंद लिया देखिये चित्र ----
चित्र में चार कैरो हीटर देखिये--- ऐसी जगह जहां ना बिजली है पानी भी जम चुका है पहाड़ों के ऊपर अपने आर्मी वाले इन हीटर के सहारे रहते हैं अगली पोस्ट में मैं आपको इस विषय में और बाते बताउंगी ,फिलहाल हमने ये बच्चों की ट्रिप पूरी की उन्हें खुश करना था अगले दिन ट्रेकिंग के लिए तैयार करना था जहां तीन से चार पांच फीट तक की बर्फ थी उसी में बनी पगडंडियों से होकर गुजरना था आपको अगली पोस्ट में वो सब दंग
करदेने वाले नज़ारे दिखाउंगी ,यह पोस्ट ज्यादा लम्बी ना करते हुए बस अब ख़त्म करती हूँ अगली पोस्ट जरूर पढ़िए ।
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sundar,manbhawan prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा वक्त व्यतीत किया हुआ लग रहा है ..पोस्ट पढ़कर और चित्र देख कर लग रहा है की मानो मैं भी आपके साथ ही था .. एक बार फिर से ब्लॉग की दुनियां में आपका स्वागत है और अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंआभार !!
recent poem : मायने बदल गऐ
बच्चे हो या जवान सभी मस्त हो उठे। यही तो कुदरत का अजब तरीका है।
जवाब देंहटाएंवाह,क्या बात है सब अनुकूल मिलता जाये तो परिवार के साथ यात्रा-वह भी हिमाच्छादित कश्मीर की,से बड़ा आनन्द और कहाँ!
जवाब देंहटाएंफ़ोटो में आपके परिवार से मिल लिये अपनी भी यादें ताज़ा कर लीं, आभार.
चित्रमय यादगार सुंदर प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
बहुत-बहुत शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंकश्मीर की सैर अच्छी लगी .....
वाह, हमें तो सब चित्र देख कर ठंड लग रही है।
जवाब देंहटाएंआदरणीया आपके ब्लॉग पर आते ही ठण्ड लगने लगी है, कहीं से हीटर का भी प्रबंध नहीं हो पा रहा है, कश्मीर की वादियों का सुन्दर सफ़र, हार्दिक बधाई. सादर
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंठण्ड का भी अपना एक अलग ही आनंद हैं ..
बहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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♥सादर वंदे मातरम् !♥
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आपके साथ सर्द सर्द श्वेत दूधिया कश्मीर की सैर से मन आनंदित हो गया ... आदरणीया राजेश कुमारी जी !
आपके परिवारजनों से मिल कर बहुत ख़ुशी हुई ...
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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कश्मीर घूमकर मजा आया ... :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर सचित्र प्रस्तुति ,,,
नववर्ष, लोहड़ी व मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर !
पूरे परिवार के साथ कश्मीर की हसीं वादियों में बर्फीले पहाड़ों पर सर्दियों में जाना भी एक अनूठा अनुभव है . आपके साथ हम भी इस ट्रिप का भरपूर आनंद ले रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआभार।
सर्द सर्द श्वेत दूधिया कश्मीर की सैर ... आपकी कलम से मन आत्मविभोर हो गया ... आभार इस उम्दा प्रस्तुति के लिये
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