इन निगाहों को कोई मंजर दे
मछलियों को नया समंदर दे
शुष्क धरती की प्यास बुझ जाए
आज ऐसा सुकून अम्बर दे
बांटनी है अगर तुझे किस्मत
तू गरीबों में भी बराबर दे
अक्स अपना तलाश करना है
इन चिरागों में रौशनी भर दे
नींव भरनी यहाँ मुहब्बत की
प्यार का बेमिसाल पत्थर दे
गाँव उसने अभी बसाया है
तू न इतना बड़ा बवंडर दे
जो फराखी विराव रखता हो
इस जहाँ को नया पयम्बर दे
आज तक जो खता हुई मुझ से
माफ़ मेरी खता खुदा कर दे
बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने!
जवाब देंहटाएंवाह आदरेया छोटी बहर में लिखी एक बहुत ही उम्दा लाजवाब ग़ज़ल ढेरों दाद कुबूल करें
जवाब देंहटाएंनींव भरनी यहाँ मुहब्बत की
जवाब देंहटाएंप्यार का बेमिसाल पत्थर दे
गाँव उसने अभी बसाया है
तू न इतना बड़ा बवंडर दे
वाह ... बहुत खूब
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (8-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
वाह क्या कहने ...राजेश जी
जवाब देंहटाएंबड़ी खूबसूरती के साथ पेश किया है गजल का हर एक शेर ...
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
उत्कृष्ट लेखन !!
जवाब देंहटाएंसुंदर गजल के लिए बधाई....
जवाब देंहटाएंrecent post: बात न करो,
बहुत ही प्यारी और भावो को संजोये रचना......
जवाब देंहटाएंअक्स अपना तलाश करना है
जवाब देंहटाएंइन चिरागों में रौशनी भर दे
सभी शेर बहुत ही शशक्त है ... अपनी अपनी बात प्रखरता से रखते हुवे ...
बेहतरीन पंक्तियाँ अभिव्यक्ति की
जवाब देंहटाएंbeautiful creation.
जवाब देंहटाएंअक्स अपना तलाश करना है
जवाब देंहटाएंइन चिरागों में रौशनी भर दे
नींव भरनी यहाँ मुहब्बत की
प्यार का बेमिसाल पत्थर दे
गाँव उसने अभी बसाया है
तू न इतना बड़ा बवंडर दे
शानदार गज़ल के बेहतरीन शेर, वाह !!!!!!!!!!!
गाँव उसने अभी बसाया है
जवाब देंहटाएंतू न इतना बड़ा बवंडर दे
कितनी महीन और नाजुक बात कह दी आपने !
बेमिसाल..!
अक्स अपना तलाश करना है
जवाब देंहटाएंइन चिरागों में रौशनी भर दे बहुत बढ़िया
गज़ब की सोच ....बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअपने अक्स की तलाश के साथ ही शुष्क धरती व गरीबों के हक़ की चाह, वाह !!! यही तो कवि-धर्म है. गज़ल के माध्यम में से की गई प्रार्थना को ईश्वर अवश्य पूर्ण करेंगे.
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