दीवाली की रात से पहले लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगे पडोसी जीवन को देख कर नवीन जी से रहा नहीं गया और जा धमके उनके सामने ,नमस्कार करके बोले -"जीवन जी आप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्या सचमुच रात को देवी आती है?
क्या आपने उसको कभी आते हुए देखा?" जीवन बोले- "हाँ आती है! इसी लिए तो बना रहा हूँ, तुम ठहरे नास्तिक तुम कहाँ समझोगे"| नवीन जी बोले- "जी नहीं भगवान् को तो मैं मानता हूँ पर इन सब आडम्बरों में विश्वास नहीं रखता वैसे आज मुझे बता ही दो ये सब क्या फंडा है? ये बात तो मैं मानता हूँ कि हम दोनों एक सी तनख्वा पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मुश्किल हो जाता है और तुम्हारा बैंक बेलेंस बढ़ता जाता है, बैंक में जब भी मिलते हैं मेरे हाथ में विद्ड्रा स्लिप रहती है तुम्हारे हाथ में डिपोजिट वाली वो सब कैसे समझ नहीं आता"| जीवन जी बोले "चल आराम से बैठ सब समझाता हूँ, सुन लक्ष्मी को बुलाने के लिए जो टिप्स मैं बताऊँ वो पूरे साल करना और फिर मेरी तरह लक्ष्मी जी के छोटे छोटे पैर रंगोली से बनाना फिर देख तेरे घर में भी लक्ष्मी आएगी"
नवीन जी ध्यान से सुनने लगे| जीवन जी बोले "देख सबसे पहले सुबह का अखबार पडोसी के उठने से पहले पढ़ डालो और वापस रख दो,अब दैनिक आवश्यकता की सबसे छोटी चीज से शुरू करते हैं जैसे कोलगेट तुम जैसे लोग क्या करते हैं कि उसे ख़त्म होने से पहले ही फेंक देते हो ट्यूब में अगर हाथ से दबाने से निकलना बंद हो जाए तो कोई बात नहीं हथौड़ी से मार-मार के निकालो जब तक वो लिज्जत पापड़ जैसी चिनचुटी ना हो जाए, बिल गेट भी ऐसा ही तो करते थे पहले | अब आते हैं कपड़ों पर, आप जैसे लोग जरा से पुराने हुए की उतार कर फेंक दिया अरे यार कम से कम बनाने वाले की मेहनत की ही लाज रख लो तब तक पहनो जब तक उसमे खिड़की दरवाजे न खुल जाएँ अगर खुल भी गए तो कोई बात नहीं परदे डलवालो कुछ दिन स्टाइल ही सही | लक्ष्मी मित्तल जी भी पहले ऐसा ही करते थे | अब आते हैं मेहमान वाजी के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो खाने का समय हो और किसी को अपने घर ऐसे वक़्त पर बुलाओ जब चाय का भी वक़्त ना हो जब वो जाने लगे एक बार जरूर सम्मान के लिए कह देना अरे चाय वाय पीकर जाते,पहले टाटा बिरला भी ऐसे ही करते थे|
आज कल जूते भी बहुत मंहगे हो गए हैं तो उन्हें तब तक पहनो जब तक वे बगावत पर न उतर जाएँ अर्थात उंगलियाँ बाहर के नज़ारे ना देखने लगें और मना करने पर कुत्ते कि तरह काटने ना लगें |
और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरी नहीं अपना स्कूटर या गाडी रोज निकाल कर चल दो बोलो गाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिर उसकीगाडी में बैठ कर आराम से बादाम के पैकेट में मूंग फली चबाओ पहले धीरू भाई अम्बानी भी ऐसा ही करते थे | क्या आपने उसको कभी आते हुए देखा?" जीवन बोले- "हाँ आती है! इसी लिए तो बना रहा हूँ, तुम ठहरे नास्तिक तुम कहाँ समझोगे"| नवीन जी बोले- "जी नहीं भगवान् को तो मैं मानता हूँ पर इन सब आडम्बरों में विश्वास नहीं रखता वैसे आज मुझे बता ही दो ये सब क्या फंडा है? ये बात तो मैं मानता हूँ कि हम दोनों एक सी तनख्वा पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मुश्किल हो जाता है और तुम्हारा बैंक बेलेंस बढ़ता जाता है, बैंक में जब भी मिलते हैं मेरे हाथ में विद्ड्रा स्लिप रहती है तुम्हारे हाथ में डिपोजिट वाली वो सब कैसे समझ नहीं आता"| जीवन जी बोले "चल आराम से बैठ सब समझाता हूँ, सुन लक्ष्मी को बुलाने के लिए जो टिप्स मैं बताऊँ वो पूरे साल करना और फिर मेरी तरह लक्ष्मी जी के छोटे छोटे पैर रंगोली से बनाना फिर देख तेरे घर में भी लक्ष्मी आएगी"
नवीन जी ध्यान से सुनने लगे| जीवन जी बोले "देख सबसे पहले सुबह का अखबार पडोसी के उठने से पहले पढ़ डालो और वापस रख दो,अब दैनिक आवश्यकता की सबसे छोटी चीज से शुरू करते हैं जैसे कोलगेट तुम जैसे लोग क्या करते हैं कि उसे ख़त्म होने से पहले ही फेंक देते हो ट्यूब में अगर हाथ से दबाने से निकलना बंद हो जाए तो कोई बात नहीं हथौड़ी से मार-मार के निकालो जब तक वो लिज्जत पापड़ जैसी चिनचुटी ना हो जाए, बिल गेट भी ऐसा ही तो करते थे पहले | अब आते हैं कपड़ों पर, आप जैसे लोग जरा से पुराने हुए की उतार कर फेंक दिया अरे यार कम से कम बनाने वाले की मेहनत की ही लाज रख लो तब तक पहनो जब तक उसमे खिड़की दरवाजे न खुल जाएँ अगर खुल भी गए तो कोई बात नहीं परदे डलवालो कुछ दिन स्टाइल ही सही | लक्ष्मी मित्तल जी भी पहले ऐसा ही करते थे | अब आते हैं मेहमान वाजी के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो खाने का समय हो और किसी को अपने घर ऐसे वक़्त पर बुलाओ जब चाय का भी वक़्त ना हो जब वो जाने लगे एक बार जरूर सम्मान के लिए कह देना अरे चाय वाय पीकर जाते,पहले टाटा बिरला भी ऐसे ही करते थे|
आज कल जूते भी बहुत मंहगे हो गए हैं तो उन्हें तब तक पहनो जब तक वे बगावत पर न उतर जाएँ अर्थात उंगलियाँ बाहर के नज़ारे ना देखने लगें और मना करने पर कुत्ते कि तरह काटने ना लगें |
रसोई गैस तो खरीदनी मुश्किल हो गई है बाहर गार्डन में बॉन फायर के बहाने खिचड़ी पकाओ | बच्चे तो पटाखों में पैसे बर्बाद तो करवाएंगे ही बढ़िया उपाय एक बार बड़े बड़े बम ओर अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर साल वोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी आजकल लोग पूजा की आरती खुद कहाँ गाते हैं | एक बहुत बड़ी टिप्स --किसी को पैसे उधार दो तो २४ घंटे में मांग लो और किसी से उधार लेते हो तो भूल जाओ किसी दिन वो ही याद दिलाएगा तो माफ़ी मांग लो, पहले अजीम प्रेम जी भी ऐसा ही करते थे | बस ये समझ लो की अगर दूध में मक्खी गिर जाए तो उसे निकाल फेंकने से पहले उस पर चिपटी मलाई उतार लो | समझ गए न नवीन भाई टिप्स तो बहुत हैं बाकी फिर कभी समझाऊंगा अभी लक्ष्मी जी के पैर बनाने हैं" | यह सुनकर नवीन भाई उठकर चलने लगे तो जीवन भाई ने कहा "अरे बातो बातो में भूल ही गया चाय वाय तो पीकर जाते" |नवीन जी फिर कभी बोलकर मन ही मन बचत की टिप्स रटते हुए जाकर बेटे से बोले "जा बेटा तू भी लक्ष्मी जी का पैर बना" पर हाय नवीन जी की किस्मत, जब सुबह ध्यान दिया तो देखा बेटे जी ने लक्ष्मी जी के पैर घर में आते हुए की बजाय घर से बाहर जाते हुए बना दिए थे |शुभ-शुभ दीपावली .
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:-)) शुभ दीपावली ...
जवाब देंहटाएंशुभ शुभ दीपावली . :))))
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हास्य रचना !!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
bahut khoob rajeshkumari ji ..........shubh dipawali ..........sach me anand aa gaya .:)
हटाएंउपयोगी जानकारी हेतु धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंवाकई कितने मजबूर हैं हम ,आभार सार्थक पोस्ट हेतु |
जवाब देंहटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_20.html
जवाब देंहटाएंवाज बहुत बढ़िया..शुभ नव रात्रि....
जवाब देंहटाएंवाह वाह..
जवाब देंहटाएंरोचक और जरुरी भी..
मजेदार....
शुभकामनाएं....
:-)
शुभ दीपावली..
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! मज़ेदार व्यंग .
जवाब देंहटाएंहम भी इन बड़े लोगों की तरह ही करते हैं . लेकिन आज तक लक्ष्मी दूर ही रही . :)
हां...हा..बहुत सुन्दर रचना ..मुझे याद आया जब में छोटा बच्चा था तो मुझे माँ ने दिवाली पर काम दिया था लक्ष्मी जी के पद चिन्ह बनाने के जिसमे घर के तरफ आते और घर के भीतर प्रवेश करते लक्ष्मी जी के नन्हे नन्हे पद चिन्ह बनाने थे ....और मैंने एक एक पग ही बनाया वो भी घर से बहार आने के ...हा..हा...पिताजी ने कहा बेटा जीवन भर लक्ष्मी तेरे घर से बाहार ही जाएँगी....उनकी कही बात आज तक सच होती आई है .......लक्ष्मी जी सदा बाहर ही रहती हैं मेरे घर से....आभार अत्यंत सुन्दर आलेख के लिए........
जवाब देंहटाएंहा हा हा । शुभ दीपावली ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की शुभकामनाएँ.
दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएँ.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,राजेश जी.
दीवाली की रात से पहले लक्ष्मी पूजा की तैयारी में लगेपडोसी (पड़ोसी )........पड़ोसी ...... जीवन को देख कर नवीन
जवाब देंहटाएंजी से रहा नहीं गया औरजा
धमके उनके सामने नमस्कार कर9के बोले जीवन जीआप जो ये छोटे छोटे पैर लाल रंग से बना रहे हैं क्यासचमुच रात
को देवी आती है क्या आपने उसको कभी आतेहुए देखा |जीवन बोले हाँ आती है इसी लिए तो बना रहा हूँतुम ठहरे
नास्तिक तुम कहाँ समझोगे | नवीन जी बोले जीनहीं भगवान् (भगवान )........भगवान ....को तो मैं मानता हूँ
पर इन सब आडम्बरों मेंविशवास (विश्वास )......विश्वास .........नहीं रखता वैसे आज मुझे बता
हम दोनों एक सी तनख्वा ...(..तनखा )....तनखा ....... पाते हैं फिर भी मेरा महीना निकलना मु
मेहमान नवाज़ी ..............
अब आते हैंमेहमान वाजी .......(मेहमान नवाजी ).......के खर्चों पर तो देखो किसी के घर जाओ तो
और भाई पेट्रोल डीजल इतना महंगा हो गया है कोई जरूरीनहीं अपना स्कूटर या गाडी(गाड़ी ).......गाड़ी ..... रोज निकाल कर चल दो बोलोगाडी खराब हो गई है कोई ना कोई तो लिफ्ट देगा ही फिरउसकी
एक बार बड़े बड़े बमओर (और ) ......और .......अनारों की आडिओ रिकार्डिंग करके रख लो हर सालवोल्यूम हाई करके बजा दीजिये वैसे भी
बढ़िया तंज .बधाई .
बहुत ही जबरदस्त टिप्स जीवन जी के...पढ़ के मज़ा आ गया...|
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकृपया आप इसे अवश्य देखें और अपनी अनमोल टिप्पणी दें
यात्रा-वृत्तान्त विधा को केन्द्र में रखकर प्रसिद्ध कवि, यात्री और ब्लॉग-यात्रा-वृत्तान्त लेखक डॉ. विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ से लिया गया एक साक्षात्कार
बहुत अच्छी लगी आपकी ये हास्य पोस्ट
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।
अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।
धन्यवाद !!
http://rohitasghorela.blogspot.com
मंगल कामनाएं आपके परिवार और आपको !
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