जय हनुमंत अमंगलहारी
प्रभु तेरी सेना बड़ी दुखकारीI
नित मेरी बगिया में उत्पात मचावें
फिर मुझको ही अंगूठा दिखावें I
गाजर ,मूली ,भिन्डी सब खाई
खीरे और कद्दू कि तो कर दी सफाई I
नहीं खाते यह सोच अदरख भी लगाईं
इन मुओं ने कहावत भी झुठलाई I
ना मैं सिया ना ये सोने कि लंका
फिर क्यूँ निशदिन बजावें डंकाI
,फल भी आधे फेंके आधे खाए
ये भिलनी के कपूत कहाँ से आयेI
कष्ट निवारण हेतु पटाखे भी छुडाये
किन्तु अगले ही दिन ये फिर लौट आयेI
क्या करूँ प्रभु ,ये तो बहुत ही छिछोरे
दिखाऊं गुलेल तो खीसें निपौरेI
हे प्रभु अगर इस कष्ट से मुक्ति पाऊं
हर मंगलवार तुझपे प्रसाद चढाऊं I
*****
mazedaar
जवाब देंहटाएंkya karun bandaron se dukhi hokar yeh sab likha hai.koi hai jo meri samsya ka nivaran kare.
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत खूब्।
जवाब देंहटाएंbahut khoob ,............ anand se bhar gaya man , sunkar itna sunder varnan. .... kabhi nahi socha tha aise bhi likh sakte hai ......badhai .
जवाब देंहटाएंhttp/sapne-shashi.blogspot.com
nayi post par apka swagat hai
:))))
जवाब देंहटाएंगजब की कविता।
सादर
बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंअब आप प्रसाद चढा ही दीजिये.
हो सकता है असर हो जाये.
बजरंगबली की जय हो.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
''नाम जप' सब उत्पातों को शांत कर देता है .
बहुत ही मजे़दार कविता...
जवाब देंहटाएंअच्छी हास्य कविता लिखी है आपने। पूरा दृश्य सजीव हो गया।
जवाब देंहटाएंहम समस्या के विकराल होने का इंतज़ार कर रहे हैं...ये हर शहर की समस्या बनती जा रही है...और इस ओर सब आँखें मूंदे बैठे हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत मजेदार हास्य सच्चाई से भरी रचना गाँवो में ये समस्या है जिसका कोई निराकरण नहीं,...सुंदर पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंकरुण रस, भक्ति रस और हास्य रस की त्रिवेणी.वीर रस भी मिल जाये तो मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है.दीप-पर्व की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया .. :):) आप किचेन गार्डन की शौक़ीन हैं यह पता चला ..
जवाब देंहटाएंmast hai...
जवाब देंहटाएंkoi naya roop Hanuman ji ko manane ka... :)
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
रोचक रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बाधाई...
बहुत बढ़िया .. ,
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
जय हनुमान
जवाब देंहटाएंअच्छी हास्य कविता......
जवाब देंहटाएंloving the post Rajesh ji. Interesting and appealing.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजे़दार कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक है आपकी यह प्रस्तुति :)
जवाब देंहटाएंप्रसाद चढ़ाने के बाद बांटना भी है …
:) पहुंच रहे हैं प्रसाद लेने …:))