नहीं चाहिए ये घर तेरा
ना पंखों का सम्मान किया
ना प्रभु के सर्जन का मान किया
एक तुच्छ पिंजर में डाल दिया
घर की खूँटी पर टांग दिया I
तुम निगल गए मेरा आकाश,
छीन लिया मेरा प्रकाश I
कहाँ गई सब तेरी निष्ठा,
क्या बढ़ गई तेरी प्रतिष्ठा ?
व्यर्थ उन्होंने शीश कटाए
तुम आजादी समझ ना पाएI
जब मैं देखूं गगन की ओर
अपने सहचरों की ओर
दिल खून के घूँट है पीता
मेरी पाँखों में दर्द भी होता I
तू जब घर से बाहर जाता है
मेरे मन में ये आता है
अगर मिले ये जनम दुबारा
इसी पिंजरे में घर हो तुम्हाराI
नहीं चाहिए ये घर तेरा
देदे मुझको जीवन मेरा
देदे मुझको जीवन मेरा I
*****
अगर मिले ये जनम दुबारा
जवाब देंहटाएंइसी पिंजरे में घर हो तुम्हाराI
नहीं चाहिए ये घर तेरा
देदे मुझको जीवन मेरा
देदे मुझको जीवन मेरा I
बेहतरीन!
सादर
बहुत गहन विचारों की अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने!
जवाब देंहटाएंतुम निगल गए मेरा आकाश,
जवाब देंहटाएंछीन लिया मेरा प्रकाश I
गहरी संवेदना ! सुंदर रचना ....
ना पंखों का सम्मान किया
जवाब देंहटाएंना प्रभु के सर्जन का मान किया
एक तुच्छ पिंजर में डाल दिया
घर की खूँटी पर टांग दिया I waah kittu , tumne apni vyatha kitne spasht shabdon kee hai ..........
bahut hi gahree baat hai
sach me bahut hi gahari baat kahi hai apne..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar likha hai apne....
तुम निगल गए मेरा आकाश,
जवाब देंहटाएंछीन लिया मेरा प्रकाश I...गहन अनुभूति लिए सुन्दर अभिव्यक्ति..
पिंजरे में बंद पंछी की मार्मिक व्यथा ।
जवाब देंहटाएंइन्सान थोडा दुष्ट तो होता है ।
तू जब घर से बाहर जाता है
जवाब देंहटाएंमेरे मन में ये आता है
अगर मिले ये जनम दुबारा
इसी पिंजरे में घर हो तुम्हाराI
बहुत बढिया।
स्वतन्त्रता का स्वर।
जवाब देंहटाएंगहन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंVery touching creation Rajesh ji . Nothing could be more important than freedom !
जवाब देंहटाएंek stri ki manodasha ka bahut hi sundar chitran kiya hai aapne.
जवाब देंहटाएंMy Blog: Life is Just a Life
My Blog: My Clicks
.
bahut hi khubsurat likha hai aapne. pinjre jaise ghar mein koan rahna chahega .
जवाब देंहटाएंbahut umda post.
जवाब देंहटाएंपिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द ना जाने कोई....बेहतरीन भाव पूर्ण मार्मिक प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंtoo good....
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंसादर आभार....
गहन विचारों की अभिव्यक्ति *सादर आभार....
जवाब देंहटाएंतुम निगल गए मेरा आकाश--- क्या बात है...अति भाव पूर्ण .
जवाब देंहटाएं--- तो वे कहते ..' ले मनुष्य ( के बच्चे ) मिर्च खाले ..
कोई नहीं सोंचता इनके कष्ट के बारे में ... !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !