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गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

फर्क बस इतना है


तुमने इकरार किया पलकें झुकाकर 
हमने इजहार किया नजरें मिलाकार!
तुम ज़माने से कुछ कह नहीं सकते 
हम मगर चुप रह नहीं सकते !
तुम दर्द को  घूँट घूँट पी जाते हो 
हम एक पल सह नहीं सकते !
तुम ख़्वाबों में जी लेते हो 
हम तुम बिन जी नहीं सकते !
फर्क बस इतना है !!

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