ऋतु बड़ी सुहानी है
घर आ जा बहना
राखी बँधवानी है ||
घर आ जा बहना
राखी बँधवानी है ||
अम्बर पे बदरी है
भैया आ जाओ
तरसे मन गगरी है |
भैया आ जाओ
तरसे मन गगरी है |
बहना अब दूरी है
कैसे आऊँ मैं
मेरी मजबूरी है ||
कैसे आऊँ मैं
मेरी मजबूरी है ||
कोई मजबूरी ना
आ न सको भैया
इतनी भी दूरी ना ||
आ न सको भैया
इतनी भी दूरी ना ||
नखरे थे वो झूठे
मैं आ जाऊँगा
बहना तू क्यूँ रूठे |
मैं आ जाऊँगा
बहना तू क्यूँ रूठे |
परदेश बसी बहना
रक्षा बंधन है
बस तेरा खुश रहना |
रक्षा बंधन है
बस तेरा खुश रहना |
चंदा भी मुस्काया
राखी बँधवाने
प्यारा भैया आया ||
राखी बँधवाने
प्यारा भैया आया ||
पूजा की थाली है
हल्दी का टीका
राखी नग वाली है ||
हल्दी का टीका
राखी नग वाली है ||
राखी तो बांधेगी
मुँह करके मीठा
तू नेग भी मांगेगी ||
मुँह करके मीठा
तू नेग भी मांगेगी ||
आगे कलाई करो
नेग न मांगू मैं
बस सिर पे हाथ धरो||
नेग न मांगू मैं
बस सिर पे हाथ धरो||
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बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें...
बहुत सुंदर माहिया...
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंअनुभूति : ईश्वर कौन है ?मोक्ष क्या है ?क्या पुनर्जन्म होता है ?
मेघ आया देर से ......
सुन्दर माहिया
जवाब देंहटाएंनेग ना माँगूँ मैं बस सिर पे हाथ धरो।
जवाब देंहटाएंसच्चे प्यार की अभिव्यक्ति