कष्ट सहे जितनी यहाँ,डालो उन पर धूल|
अंत भला सो सब भला ,बीती बातें भूल||
विद्या वितरण से खुलें ,क्लिष्ट ज्ञान के राज|
कुशल तीर से ही सधे ,एक पंथ दो काज||
कृष्ण काग खादी पहन,भूला अपनी जात|
चार दिवस की चाँदनी,फिर अँधियारी रात||
जिसके दर पर रो रहा , वो है भाव विहीन|
फिर क्यों आगे भैंसके,बजा रहा तू बीन||
सफल करो उपकार में,जीवन के दिन चार|
अंधे की लाठी पकड़ ,सड़क करा दो पार||
विटप बिना जो नीर के ,जड़ से सूखा
जाय|
सावन का अंधा उसे ,हरा हरा
बतलाय||
बुरी बला लालच समझ ,मन का तुच्छ विकार|
जितनी चादर ढक सके ,उतने पैर पसार||
तू देखेगा और का ,भगवन तेरा हाल|
बस करके नेकी यहाँ ,दरिया में तू डाल||
लाया क्या कुछ साथ तू ,जो ले जाए साथ|
छूटेगा सब कुछ यहाँ ,जाना खाली हाथ||
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बेहतरीन ...बहुत सुंदर सार्थक दोहे ...!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ...!!
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर और उपयोगी दोहे।
जवाब देंहटाएंसुंदर,सटीक भावपूर्ण दोहे...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
sunder dohe
जवाब देंहटाएंसारगर्भित दोहे...
जवाब देंहटाएंसुंदर बोध देते दोहे..
जवाब देंहटाएंहर दोहे में कुछ महत्वपूर्ण अर्थ निहित है ! बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चाँदनी रात
नई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
बहुत ही सुंदरता से संजोए हैं सभी दोहे ... अर्थ पूर्ण दोहे ...
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह! बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंअरे! मैं कैसे नहीं हूँ ख़ास?
सुन्दरता से अभिव्यक्त किया है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दरता से अभिव्यक्त किया है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (29-12-2013) को "शक़ ना करो....रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1476" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नव वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!!
- ई॰ राहुल मिश्रा
बहुत सुंदर दोहे !
जवाब देंहटाएंआप सब का हार्दिक आभार
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