परी महल आज हम सुबह- सुबह घर से निकल पड़े क्यूँ की काफी जगह देखनी थी जो जगह मैं पिछले साल नहीं देख पाई थी सबसे पहले वह देखना चाहती थी अतः सबसे पहले परी महल चलते हैं,चित्र दिखाने से पहले परी महल के विषय में कुछ बाते हो जाएँ ----यह एक एतिहासिक मोनुमेंट है जो चश्मे शाही के गार्डन के ऊपर की और बना है ,जो अपने वक़्त के बेहतरीन आर्किटेक्ट ने डिजाइन किया था ,चारों और से खूबसूरत गार्डन से घिरा है पहले बुद्धिष्ट की मोनेस्ट्री हुआ करता था उसके बाद शाह्जाहा के बड़े पुत्र दारा शिकोह के द्वारा एस्ट्रो लोजी का स्कूल जिसका नाम पीर महल रखा गया, बनाया गया ।फिर आजकल इसका नाम परीमहल रख कर टूरिस्ट प्लेस बना दिया गया ---अब चित्र देखिये
---चलिए अब हम गाडी से पांच मिनट में चश्मे शाही मुग़ल गार्डन पहुँचते हैं _____
चश्मे शाही
चश्मे शाही
अब चश्मे शाही की कुछ बाते हो जाए---- चश्मे शाही 1632 में 108 मीटर लम्बे और 38 मीटर चौड़े आकार में
एक छोटे से खूबसूरत गार्डन को मुग़ल गार्डन के बीच में बनाया गया ,इसे रोयल स्प्रिग भी कहते हैं ।इसके बीच में
पानी का एक छोटा सा चश्मा अर्थात झरना और एक फव्वारा भी बनाया हुआ है वो पानी पहाड़ों की गहराई से बहुत मीठा शुद्द बहुत ठंडा और औषधि तत्व से मिश्रित है स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है इस लिए लोग उसे पीते हैं तथा बोतलों में भर के घर भी ले जाते हैं इसे शुभ भी मानते हैं ।चश्मे शाही से हम अद्दभुत सुन्दर पहाड़
परिमहल और डल लेक के नज़ारे देख सकते हैं ।अब देखिये कुछ चित्र वहां के ---
एक छोटे से खूबसूरत गार्डन को मुग़ल गार्डन के बीच में बनाया गया ,इसे रोयल स्प्रिग भी कहते हैं ।इसके बीच में
पानी का एक छोटा सा चश्मा अर्थात झरना और एक फव्वारा भी बनाया हुआ है वो पानी पहाड़ों की गहराई से बहुत मीठा शुद्द बहुत ठंडा और औषधि तत्व से मिश्रित है स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है इस लिए लोग उसे पीते हैं तथा बोतलों में भर के घर भी ले जाते हैं इसे शुभ भी मानते हैं ।चश्मे शाही से हम अद्दभुत सुन्दर पहाड़
परिमहल और डल लेक के नज़ारे देख सकते हैं ।अब देखिये कुछ चित्र वहां के ---
यहाँ देखिये चिनार के क्रीपर्स भी होते हैं जो पूरी दीवार पर फैले हैं चश्मे शाही की बगल में
शालीमार बाग़-- ,चलिए अब आपको यहाँ से शालीमार गार्डेन ले चलती हूँ जो मुझे निशात से भी सुन्दर लगा परन्तु ये निशात से छोटा है आराम से देख सकते हैं निशात को देखने के लिए तो कई घंटे चाहिए हर बाग़ की अपनी अपनी विशेषता है
निशात पिछले साल देखा था जो आप मेरे पिछले संस्मरण में देख सकते हो चलिए अब शालीमार के चित्र देखिये और उसके विषय में पढ़िए }---शालीमार बाग़ को काश्मीर का रोयल गार्डन भी कहा जाता है ।शालीमार का अर्थ मोहब्बत का आवास जिसका नाम प्रवर सेना द्वीत्य ने छटी सेंचुरी सी ई में रखा था उस समय यह हिन्दुओं का पवित्र स्थल था ,बाद में जहांगीर को यह इतना पसंद आया की उसने इसको काश्मीर की बेस्ट साईट बताया ।यह डल लेक के पास ही है तथा इसमें बहती हुई केनाल आगे जाकर डल लेक से जुड़ जाती है यह श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर है इस बाग़ का कवरिंग एरिया 12.4 हेक्टेयर है इसमें एक प्राकर्तिक केनाल और पास में एक झरना हमेशा बहता रहता है ।एक से बढ़कर एक फूलों की किस्मे इसमें देख सकते हैं
बहुत बहुत प्यारा गार्डेन है ।
हजरत बलअब इसके बाद मै आपको एक एतिहासिक जगह हजरत बल ले चलती हूँ।अब पहले इसके विषय में जानिये
हजरतबल कश्मीर के मुस्लिमों का प्रसिद्द धार्मिक स्थल एक बहुत प्राचीन मस्जिद है जो सफ़ेद मार्बल से बनी है ।
यह दो शब्दों से मिलकर बना है पहला हजरत जो एक अरबिक शब्द है जिसका अर्थ है पवित्र /पुण्य तथा बल काश्मीरी शब्द जो संस्कृत के वाला शब्द जिसका अर्थ है स्थान, से लेकर बनाया है ।
यह मस्जिद डल लेक के बाँई ओर बनी है इसको ओर भी कई नामों से जाना जाता है जैसे असारे शरीफ ,मदीनत -उस -सानी और दरगाह शरीफ ।पूरी मस्जिद पर अन्दर बाहर असंख्य कबूतरों का बसेरा है जो देखते ही बनता है बच्चों के लिए तो कौतुहल का अवसर और विषय था ।
यहाँ हम लोगों को ना जाने की हिदायत दी गई थी क्यूंकि दो दिन पहले ही काश्मीर में कुछ अप्रिय घटना घटी थी सिक्योरिटी तो पूरी थी फिर भी मन करने पर भी मैं जिज्ञासा वश और मन में धार्मिक भावना वश जाने से खुद को नहीं रोक पाई वहां अन्दर पूजा भी की और चित्र भी लेकर आई आप भी चित्र देखिये ___
आपको एक विशेष बात बताऊँ --आजकल काश्मीर में करीब 12 हजार टूरिस्ट प्रतिदिन जा रहे हैं यह हमारे ड्राइवर ने बताया आंकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं ।अगर कश्मीर निवासी भारतीय सेना का पूरा साथ दें उस पर भरोसा करें अपने को भारतीय दिल से समझें अमन और चैन बहाल रखें तो काश्मीर भारत का सबसे धनवान टेरिटरी होगा ,टूरिज्म के लिए उससे बेहतर जगह नहीं हो सकती जितना अमन चैन होगा उतनी ही उनकी आर्थिक व्यवस्था सुधरती जायेगी यह भारत की धड़कन है जिसे उससे कोई नहीं छीन सकता वहां से भागे हुए ब्राह्मणों को भी हिम्मत से अपनी सेना पर भरोसा करते हुए वापस जाना चाहिए वो तुम्हारा घर है किस लिए छोड़ना ।
बस आज के लिए बहुत हो गया अगली पोस्ट में आपको डल लेक की सैर कराऊंगी ।आशा है आपको यह भाग पसंद आया होगा शुभ विदा अगली पोस्ट जरूर देखिएगा ।
वाह, बहुत ही सुन्दर चित्र..
जवाब देंहटाएंwow ! kashmir aapke dvara ghum liae ...
जवाब देंहटाएंवाह .... बहुत सुंदर चित्र मयी पोस्ट .... दिल्ली की गर्मी में काश्मीर की सैर बढ़िया रही
जवाब देंहटाएंकाश्मीर की चित्रमय बेहतरीन यात्रा प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
RECENT POST<a href
Bahut Badhiya Chitron se saji post...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रावली!
जवाब देंहटाएंजानकारी से ओत-प्रोत पोस्ट!
कश्मीर की सैर अभी नहीं की है .अभी तो आपके कैमरे से ही मज़ा ले रहे हैं . बढ़िया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक विवरण...सुंदर चित्रण के साथ...काश्मीर में कितनी सुंदरता बिखरी है...
जवाब देंहटाएंbahut acchhi jankari aur chitron ne to is jankari me poornta la di.
जवाब देंहटाएंaabhar.
बहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति....आभार..राजेश जी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएं:-)
चित्रमय बेहतरीन यात्रा प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया सैर कश्मीर की...चित्रों से सजी सुंदर पोस्ट !!
जवाब देंहटाएंकश्मीर की सैर करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चित्र......प्रस्तुति .....शुक्रिया/आभार आपका....
जवाब देंहटाएंआपके ब्लाग में आना सुखद अनुभव रहा, कश्मीर को सुनते तो बहुत हैं लेकिन जानते बहुत कम है, चश्मेशाही के बारे में काफी सुना था। मैं मानसबल की तलाश में था हो सकता है आपके अगले अंकों में उसका जिक्र हो, सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंBahut hi sundar tasweere hain...
जवाब देंहटाएंBehtreen yatra varnan.....
तस्वीर बहुत ही खूबसूरत
जवाब देंहटाएंतभी तो कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा गया है
कश्मीर फ्री से भारत का स्वर्ग बन सकता है दोबारा मुस्लिम भाई चारे के हाथ में है सब कुछ ,हिन्दू तो अब घाटी से बे -दखल हैं .पिछड़े रहना चाहतें हैं मुस्लिम भाई ?इतिहास को भूल आगे की राह देखो .परिवर्तन की बयार कश्मीर में बहे सब यही चाहतें हैं .
जवाब देंहटाएंलाजवाब तस्वीरों से सजी अद्भुत जानकारी।
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबढ़िया यात्रा वृत्तांत |
जवाब देंहटाएंबधाई दीदी ||
चित्रों की खुबसूरती, शब्दों का भावार्थ |
हटाएंकृष्ण हांकते रथ चले, आनंदित यह पार्थ |
आनंदित यह पार्थ, वादियाँ काश्मीर की |
हजरत बल डल झील, पुराने महल पीर की |
रविकर टिकट बगैर, घूमता जाए मित्रों |
कर लो सब दीदार, आभार अनोखे चित्रों ||
haardik aabhar ravikar bhaai aur sabhi mitron ko
जवाब देंहटाएंसुन्दर तस्वीरों से परिपूर्ण रोचक यात्रा वृत्तांत....
जवाब देंहटाएंवाह! वाह!
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
day by day you are getting younger and prettier...:)...Lovely pics.
जवाब देंहटाएंhahaha kya baat kahi Divya ji
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रों से सजी रचना |तभी तो कश्मीर को स्वर्ग कहा जाता है |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंkis ka man nahin karega ke iss blog ko samarpan na ho !
जवाब देंहटाएंवाकई आपने कश्मीर की सुंदरता को अच्छे तरीके से दिखाया है दिल बाग बाग हो गया । वाकई अगर कश्मीर वासी इस बात को समझ जायें तो कश्मीर से बडा टूरिस्ट प्लेस नही होगा
जवाब देंहटाएंबेहद आवश्यक और सार्थक रचना के लिए आभार आपका !
जवाब देंहटाएंवाह!
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