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मंगलवार, 5 जून 2012

बदनामियों की गठरी


घुप्प अँधेरा 
उफनता  तूफ़ान 
कर्कश हवाओं कि साँय-साँय 
पागल चड चडाती
दरख्तों की शाखाएं
किसी भी क्षण उसके 
सर पर आघात
करने को उदद्यत
पर उसके कदम 
अनवरत गति से 
बढ़ते जा रहे हैं  
काले स्याह मेघ 
कोप से उत्तेजित हो 
परस्पर टकरा टकरा कर
दहाड़ रहे हैं 
जिसकी आवाज 
ने उन दोनों की 
साँसों की आवाज को 
निगल लिया है 
दामिनी थर्रा रही है 
गिडगिडा रही है 
उसके चेहरे को देखने को व्यग्र 
शनै -शनै अपना
प्रकाश फेंक रही है 
पर उसका मुख  घूंघट 
से ढका है 
हाँ एक  नन्ही सी जान   
 एक  कपडे में 
 लिपटी हुई  
उसकी छाती से 
 चिपटी हुई दिखाई दे रही है 
उसे देख कर सारी कायनात
विव्हल हो उठी 
अम्बर ने भी अश्रुओं की 
झड़ी लगा दी 
कि  किसी तरह 
उसका दिल द्रवित हो 
और उसके पाँव वापस
लौट आंए
पर उसे क्या पता
कि ये तूफ़ान तो कुछ 
भी नहीं
उससे बड़ा तूफ़ान
तो कब से उसके ह्रदय में
तबाही मचा रहा है                                                                                                                     धन से तो वो पहले से ही वंचित थी                                                                                     अब  तन और
मन से भी हो गई
बस किस्मत से लड़ना ही
उसकी नियति बन चुकी थी  
अम्बर के ये आंसू
क्या हैं 
उसके सम्मुख
जो उसकी आँखों
और आँचल से 
विस्तृत सागर बह रहा है  
लगातार कर्ण पटल पर
आघात करता ये शोर उसको
उसकी बेइज्जती और मजबूरी
का उपहास करता
प्रतीत हो रहा है 
और वो चुपचाप 
उसी आसमान
जिसके नीचे उसकी
बेबसी तार तार हुई थी
को साक्षी मान कर 
रुक जाती है 
उस झाडी की  
ओर  जहां वो अपनी
विदीर्ण छाती से 
मजबूरियों 
और बदनामियों 
की  गठरी का 
बोझ उतार सके !!
******  

   











21 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मार्मिक....एक सशक्त प्रस्तुति...

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  2. धन से तो वो पहले से ही वंचित थी अब तन और
    मन से भी हो गई
    बस किस्मत से लड़ना ही
    उसकी नियति बन चुकी थी,,,,

    बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,मार्मिक अभिव्यक्ति बेहतरीन रचना,,,,,

    MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  3. दर्दनाक ...
    शुभकामनायें आपको !

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  4. सार्थक व सटीक अभिव्‍यक्ति.

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  5. कितना विवश है मानव...स्वार्थी भी...

    जवाब देंहटाएं
  6. नारी मन की विवशता कों मार्मिक शब्दों में उतारा है ... सजीव रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  7. कितनी गहराई कितना दर्द ... भावमय करते शब्‍द

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद संवेदनशील रचना, शुभकामनाएँ.

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  9. Ak abla ki dard bhari kahani...
    Bahut hi dard hai aapki rachna me...
    Aabhar....

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  10. इस कविता के माध्यम से आपने अद्भुत दृश्य खींचा है। मन को झकझोर गए।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  12. गहन भाव लिये रचना...
    बहूत हि मार्मिक प्रस्तुती.....

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  13. दर्दनाक है यह...
    आभार आपका !

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  15. बहुत भावपूर्ण रचना है |बदनामीन के बोझ को धोना कितना कठिन है यह वही जानती है |
    आशा

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