चाहत की कलियाँ चुन चुन कर भर लाऊंगा झोली में!
तू श्वेत कमल बन के आना मैं ढूँढ ही लूँगा टोली में !!
उस दिल का हाल बंया कर देना इन नैनों की बोली में
लूट के ले गई थी मुझसे जो पिछले बरस की होली में !!
खूने जिगर के रंग से रंगना क्या रखा अबीर औ रोली में
प्रीत बाण से घायल करना यूँ ही आँख मिचोली में
बच के रहना तू प्रिये तेरी मांग भरूँगा होली में
फिर ले जाऊँगा डोली में अगले बरस की होली में!!
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