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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

जय जय प्रीत दिवस (हास्य व्यंग्य )

कुण्डलिया 
चंदा बरसाता अगन ,सूरज देखो ओस
मूँछ एँठ जुगनू कहे ,चल मैं आया बॉस
चल मैं आया बॉस ,शमा को नाच नचाऊं
कर लूँ दो-दो हाथ ,शलभ को प्रीत सिखाऊं
मेरी देख उड़ान ,भाव भँवरे का मंदा
तितली करती डाह ,मिटे फूलों पर चंदा

||तीन दोहे|| 
   दिल सागर में आज क्यों ,उठे प्रेम का ज्वार|
देकर  लाल गुलाब को ,करते हैं इजहार||

परसों नभ को दिल दिया,कल धरा को रोज|
   चाँद आज मन में बसा,रवि को किया प्रपोज||

 कलिका से प्रोमिस करें ,तितली को दें डेट|
  इन भँवरों का क्या धरम ,कहें सुमन से वेट||  

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह मस्त हैं दोहे ... प्रेम दिवस जो आ रहा है ...

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-02-2014) को "गाँडीव पड़ा लाचार " (चर्चा मंच-1521) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. कलिका से प्रोमिस करें ,तितली को दें डेट|
    इन भँवरों का क्या धरम ,कहें सुमन से वेट|

    बहुत सुंदर भाव। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

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  4. aapke dohe bahut hi lajawab hai hum ise facebook par post kar rahe hai
    Manoj Ashtikar
    \

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