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रविवार, 17 अक्तूबर 2010

aaj ke raavan

आज के दम्भी रावण करदे इतना अहसान
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान ,
नहीं तो तेरा कल उन्ही पे चल के आएगा
फिर से इतिहास उसी सांचे में ढल जायेगा !
                          तब कौन सुनेगा तेरे दिल की जुबान
                          तू  छोड़ नहीं जाना अपने क़दमों के निशान!
तेरे अपने तेरी मंजिल का पता पूछेंगे
उनपे चलने के लिए तेरे कदमो के निशान खोजेंगे
तू अपने दुष्कर्मो को छिपायेगा कंहा
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !
                         वो कोई ओर थे जो कल भी पूजे जायेंगे
                         जिनके पदचिन्ह सही रास्ता दिखायेंगे
जिनकी याद में आज भी नतमस्तक है जहाँ
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !
                         वो आजादी के लिए फिरते  थे दरबदर
                          तुम आज पखेरू के पिंजरों से सजाते हो अपना घर 
तू समझा ही कँहा अब तक आजादी की जुबान
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !
                      उनके बलिदानों का तूने बनाया है उपहास
                      तार तार कर डाला है प्रकर्ति का लिबास
उज्जवल भविष्य अब तूने छोड़ा है कँहा
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !
                    जिंदगी को तूने इक अभिशाप बना डाला
                    अमृत दिया था प्रभु ने उसमे विष मिला डाला
चहुँ ओर फैल रहा है आतंक का धुआं
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !
                    तेरे कदमो पे चल के वो क्या पायेंगे
                    बहेतर है वो खुद नया जहाँ बनायंगे
कोन जाने फिर से हो रामराज्य वहां
तू छोड़ नहीं जाना अपने कदमो के निशान !!


सबको विजय दशमी की शुभ कामनाएं

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