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रविवार, 27 मार्च 2011

नभ के सितारे

नटखट चन्द्र ने निशा की माला तोड़ी होगी 
वरना क्यूँ छितराते नभ में इतने सितारे !
उषा ने फिर डाह की लाली भर दी होगी 
वरना क्यूँ बरसाता रवि इतने अंगारे !!
संध्या ने ढांप दिया होगा उसका लावण्य
वरना क्यूँ जाकर परदेश में एसे रात गुजारे !! 
  

रविवार, 20 मार्च 2011

एक शाएरी

बात उल्फत की नजरों से जो समझा न सके 
वो क्या समझा पाएंगे यूँ नश्तेर चुभोकर !
दवात की स्याही से ढाई अक्षर जो लिख न सका 
वो क्या लिख पायेगा समुंदर में डुबोकर !!

सोमवार, 2 अगस्त 2010

shayeri

चेहरे का वो दाग हमसे छुपाते रहे
पर हमको उसी दाग में वो चाँद नजर आते रहे !!